सिक्यारा, उत्तरकाशी : पिछले 17 दिनों से बार बार जिंदगी की आस दिखाकर अंधेरे की ओर जाती जिंदगी की कहानी पूरा देश देख रहा था. पूरा देश पल पल उन 41 मजदूरों की सलामती के लिए दुआएं मांग रहा था, जो एक सुरंग के अंधेरे में फंस गये थे. भारत में तकनीक की कमी देख अमेरिका से स्पेसलाइज्ड मशीनें मंगाई गई . अमेरिका से खदान विशेषज्ञ बुलाये गये. हर संभव प्रयास हुआ लेकिन शायद पर्वतराज नाराज थे, इसलिए किसी की कोशिश कामयीब नहीं हुई. सफलता के मुहाने पर पहुंचकर ऑगर मशीन ने दम तोड़ दिया और इसके साथ ही सुरंग के अंधेरे फंसे 41 लोगों की जान बचाना असंभव जान पड़ने लगा. फिर सामने आये Rat Miners. 22 घंटे से भी कम समय में मात्र 6 Rat Miners ने पहाड़ सीना चीर दिया और 41 मजदूरों की जान बचाने का रास्ता बना दिया
धैर्य, परिश्रम एवं आस्था की हुई जीत। pic.twitter.com/bF4hupYDMa
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 28, 2023
Rat Miners ने मौसम की मार के बीच विजय फताका फहराया
मात्र 12 मीटर की दूरी 12 किलोमीटर जैसी लगने लगी. पिछले चार दिन से ऑगर मशीन 12 मीटर जमीन से मलाबा हटा नहीं पाई और बार बार खदान के मजदूरों के बाहल आने के उम्मीद जगने के बाद फिर मजदूरों के बचने की संभवना छीन होती नजर आने लगी. विशेषज्ञ भी इस चिंता में आने लगे कि आखिर क्या उपाय किये जायें कि पर्वतराज की गुफा में बैठे मासूम मजदूर बाहर निकल आये.. ऐसे में समाने आये वो देवदूत जिन्होंने तमाम विज्ञान, तमाम आधुनिक मशीनों को पीछे छोड़ ये बता दिया कि इंसानी जज्बे से बड़ा और प्रकृति में रहकर प्रकृति के अनुरुप काम करने पर ही सफलता मिल सकती है. प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना अच्छे अच्छों को भारी पड़ सकता है.
रैट माइनर ने किया कमाल
बार बार आगर मशीन के खरीब हो जाने के बाद विशेषज्ञ ये समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर क्या किया जाये.. तब रैट माइनर को बुलाने का सुझाव आया. 6 रैट माइनर दिल्ली , यूपी से बुलाये गये और मात्र 22 घंटे में इन रैट माइनर्स ने उस असाध्य को साध्य बना दिया, जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल हो रहा था.
रैट माइनर्स ने कैसे किया काम
भारत में रैट माइनर्स का नाम नया है ,क्योंकि भारत में बड़े पैमाने पर माइनिंग का काम होने के बावजूद यहां माईनिंग में रैट माइनर्स का उपयोग प्रतिबंधित है.सरकार माईनिंग के क्षेत्र में रैट माइनर्स के उपयोग की इजाजत नहीं देती है. इसलिए ज्यादातर लोग इस टर्म से वाकिफ नहीं हैं.
Am completely overwhelmed with happiness and relief to know of the rescue of 41 trapped men. A big salute to every member of the rescue team. Kamaal kar diya. This is a new India and we all feel so proud. Jai Hind. 👏🏻 🇮🇳 pic.twitter.com/xbBnI5vPpG
— Akshay Kumar (@akshaykumar) November 28, 2023
खैर रैट माइनर्स ने सोमवार से सिलक्यारा टनल में काम शुरु किया.6 लोगों ने दो दो की टीम बनाकर काम शुरु किया.रैट माइनर्स ने मैनुअल तरीके से काम शुरु किया. ड्रिलिंग करके पत्थर तोड़े और मलबा निकाला और लगातार 20-22 घंटे तक ड्रिलिंग करके मलबा निकाला.आखिरकार मजदूरों तक पहुंचने का रास्ता बना और पिछले 17 दिनों से टनल में फंसे मजदूर बाहर निकल आये.
The Unsung Heroes 🙌
A group of 6 skilled Rat-hole Miners flown from Uttar Pradesh did the job after high-end American machinery failed. pic.twitter.com/fnaGK4C1Au
— Rishi Bagree (@rishibagree) November 28, 2023
महाभारत काल में लाक्षागृह में इसी तरह हुई थी खुदाई !
मार्डन टाइम में भले ही रैट माइनर शब्द से लोग कम वाकिफ हो लेकिन भारत में ये हजारों साल पुरानी तकनीक है. राजे महाराजे अपनी सुरक्षा के लिए ऐसे ही रैटमाइन्स से सुरंगे बनवाते थे, ताकि मुसीबत के समय वो बाहर निकल सकें. रैट माइनर्स ठीक चूहे की तरह रेंगते हुए बिना आवाज कम से कम रौशनी में भी धरती और पत्थर का सीना चीरने में सक्षम होते हैं. ये लोग ठीक उसी तरह से काम करते हैं, जैसे हस्तिनापुर में लाक्षागृह में फंसे पांडवों को गुप्त सुरंग खोद कर बचाया गया था. महाभारत काल में ये प्रसंग मिलता है.
ये काम कोई खास स्कील्ड लोग नहीं करते हैं बल्कि अपने मेहनत और अनुभव को आधार पर कुछ ऐसे लोग करते हैं जिन्होंने इस काम में महारत हासिल कर रखी है. सिलक्या रेस्क्यू ऑपरेशन के भी हीरो वे 6 रैट माइनर्स ही है जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर 41 लोगों को नई जिंदगी दी.