देश की राजधानी दिल्ली और दिल्ली का दिल इंडिया गेट सर्किल….
दिल्ली आने वाले सैलानियों की पहली पसंद इंडिया गेट सर्किल और राजपथ, नये नाम और नये कलेवर के साथ तैयार है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 7 बजे कर्तव्यपथ का उद्घाटन करेंगे.
पिछले 61 साल से गणतंत्र दिवस समारोह की पहचान रहा राजपथ अब कर्तव्यपथ हो गया है. ब्रिटिश शासन के समय में जब दिल्ली को नये रूप में बदला जा रहा था तो कई सड़कों और इमारतों का निर्माण हुआ. दिल्ली के बीचोंबीच कई महत्वपूर्ण इमारत बनाई गई, जैसे राष्ट्रपति भवन, संसद भवन और आसपास की कई इमारतें.
लुटियंस दिल्ली के नाम से जाना जाता है ये इलाका
अंग्रेजी शासन काल में दिल्ली की इमारतों को डिजाइन करने की ज़िम्मेदारी एडविन लुटियंस के पास थी. यहां बनाई जा रही महत्वपूर्ण इमारतों को जोड़ने के लिए सड़कें बनाई जानी थी. इसके लिए अंग्रेजी सरकार ने देश भर के ठेकेदारों से संपर्क किया जो सड़क बनाने का काम करते थे. एडविन लुटियंस को एक ठेकेदार सरदार नारायण सिंह का प्रस्ताव बेहद पसंद आया और उन्होंने इसे बनाने की जिम्मेदारी सरदार नारायण सिंह को ही दे दी.
सरदार नारायण सिंह ने नई दिल्ली को बेजोड़ सड़कें दी.
सरदार नारायण सिंह ने नई दिल्ली को बेजोड़ सड़कें दी. जो अपने निर्माण के सौ साल बाद भी मजबूती लिये हुए हैं. उन्होंने अपने समय की नई तकनीक पत्थरों को तारकोल से दबा कर सड़कों का निर्माण करवाया. राजपथ की मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस पथ से हाथी घोड़े, मोटर, टेंक सब तरह के भारी वाहन गुजरे लेकिन सड़क की मजबूती कभी हिली भी नहीं. ये सड़कें खास तरह से डिजाइन करके बनाई गई थी. सड़क के दोनों तरफ हार्बर्ड बेकर के डिजाइन की हुई भव्य इमारतें साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लाक हैं.
लगभग साढ़े तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क का नाम अब तक कई बार बदल चुका है.
अंग्रेजों के समय में ये सड़क किंग्सवे के नाम से जानी जाती थी. आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में इसका नाम बदल कर राजपथ कर दिया गया जो किंग्सवे का ही हिंदी रुपांतरण है.इस सड़क की पहचान अंग्रेजों के समय में इसके आसपास की भव्य इमारतों में रहने वाले अंग्रेजी शासन के बड़े अधिकारियों के कारण थी. जो आजादी के बाद भी बरकरार रही. नई दिल्ली के इस इलाके को लुटिंयस जोन के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसका और यहां मौजूद सभी महत्वपूर्ण इमारतों की डिजाइनिंग एडविन लुटियंस के निर्देशन मे हुआ था. जंतर मंतर, शास्री भवन, रेल भवन , धौलपुर हाउस , हैदराबाद हाउस.ऐसे तमाम नाम हैं जिसे यहां की सड़कें एक दूसरे से जोड़ती हैं.
आजाद भारत में भी कर्तव्यपथ और इसके आसपास बनी इमारतें सत्ता और सत्ता प्रतिष्ठानों की केंद्र के रूप में जानी जाती हैं.
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