R N Ravi Secularism : इन दिनों इस देश में कोई भी कुछ भी बोल रहा है, जिसे जहां मौका मिल रहा है वो जहर फैलने में लगा है लेकिन अगर देश का कोई जिम्मेदार नागरिक,जिस पर खुद संविधान को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हो, वहां से कोई ऐसी बात निकल कर सामने आ जाये को चिंता होना स्वाभाविक है. हम बात कर रहे हैं, तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि की.तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने ऐसा बयान दे दिया है कि इससे बवाल मच गया है.
(श्रोत- सोशल मीडिया)
‘Secularism is a European concept and it has no place in India.’ – RN Ravi ( Tamilnadu Governor) pic.twitter.com/fa1ZH6JCiX
— Political_News (@Political_Newss) September 23, 2024
R N Ravi Secularism: भारत को धर्म निरपेक्षता की जरुरत नहीं है…..
तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने सेक्युलिरज्म यानी धर्मनिर्पेक्षता पर बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया. एन रवि ने कहा कि “भारत जैसे देश को धर्मनिरपेक्षता के अवधारणा की जरुरत नहीं है. धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा यूरोप से संबंधित है, इसका भारत के कोई लेना देना नहीं है.”
दीक्षांत समारोह के दौरान बोले राज्यपाल आर एन रवि
राज्यपाल एन रवि कन्याकुमारी के तिरुवत्तार में हिंदू धर्म विद्या पीठम के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे. छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि “इस देश के लोगों के साथ बहुत धोखाधड़ी की गई है. और उन धोखाधड़ी में एक ये है कि उन्हें धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या दी गई है. उन्होंने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है और इसे वहीं रहना चाहिए क्योंकि भारत में धर्मनिरपेक्षता की कोई जरूरत नहीं है.”
यूरोप में राजा चर्च में लड़ाई थी इस लिए वहां ….
तमिलनाडु राज्यपाल ने अपनी बात को सही साबित करने के लिए यूरोप की राजनीतिक परिस्थितियो का भी जिक्र किया. उन्होने कहा कि यूरोप में धर्मनिरपेक्षता इसलिए आई क्योंकि चर्च और राजा के बीच लड़ाई थी. लेकिन भारत जैसा देश “धर्म” से कैसे दूर रह सकता है? धर्मनिरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है और इसे वहीं रहने देना चाहिये.
राज्यपाल के संविधान विरोधी बयान से भड़का विपक्ष
भारत के संविधान की शपथ लेकर पद ग्रहण करने वाले तमिलनाडु के राज्यपाल ने संविधान की मूल आत्मा को ही दरकिनार कर दिया है. जाहिर है इस पर कई राजनितिक दल भड़क गये हैं. तमिलनाडू में राज्यपाल द्रमुक, लेफ्ट पार्टिज और डीएमके के निशाने पर आ गये हैं.
राज्यपाल को संविधान पढ़ना चाहिये- डएमके
डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने राज्यपाल के साथ साथ भाजपा को भी लपेट लिया और बरस पड़े. टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि “धर्मनिरपेक्षता भारत में सबसे अधिक आवश्यक अवधारणा है न कि यूरोप में. लगता है कि राज्यपाल महोदय ने संविधान का अध्ययन नहीं किया है. उन्हें संविधान पढ़ना चाहिए और देखना चाहिए कि उसमें 22 भाषाएं सूचीबद्ध हैं. हिंदी एक ऐसी भाषा है जो कि कुछ ही राज्यों में बोली जाती है. बाकी राज्यों में अन्य भाषाएं बोली जाती हैं. भाजपा के साथ समस्या यह है कि वे न तो भारत को जानते हैं, न ही संविधान को…वे कुछ भी नहीं जानते हैं. यही कारण है कि वे अपने दम पर सरकार भी नहीं बना सके.”
वो धर्मनिरपेक्षता के बारे में क्या जानते हैं?- सीपीआई
सीपीआई नेता डी राजा ने भी राज्यपाल के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि “आरएन रवि के बयान की कड़ी निंदा करते हैं. वो धर्मनिरपेक्षता के बारे में क्या जानते हैं? वह भारत के बारे में क्या जानते हैं? वह एक राज्यपाल हैं…उन्हें संविधान का पालन करना चाहिए. भारत का संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में परिभाषित करता है.”
डी राजा ने राज्यपाल को डॉ. बी आर अंबेडकर क अवधारण याद दिलाते हुए कहा कि “उन्होने धार्मिक अवधारणा को खारिज कर दिया था, उन्होंने तो यहां तक कहा था कि यदि हिंदू राष्ट्र सच हो गया तो यह देश के लिए एक आपदा होगा. धर्मनिरपेक्षता का मतलब धर्म और राजनीति को अलग रखना है”
ब्यूरोक्रेट से राजनेता बने रवि का रहा है विवादों से चोली-दामन का साथ
दरअसल बिहार के पटना के रहने वाले ब्यूरोक्रेट रहे रविंद्र नाराय़ण रवि हमेशा से विवादों मे रहने वाले राजनीतिज्ञ रहे हैं. तमिलनाडु से पहले ये दो पूर्वोत्तर राज्यों मेघालय और नागालैंड के राज्यपाल रह चुके है और अब तमिलनाडु के राज्यपाल के रुप में तीसरी बार पद पर हैं. तमिलनाडु में सितबर 2021 से पद भार संभलने वाले आर एन रवि का लगातार यहां के राजनेताओं के साथ विरोध रहा है.तमिलनाडु के राज्यपाल के रुप में लचर कार्यशैली को लेकर मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन तानाशाही का आरोप लगाते रहे हैं. मामला यहां तक पहुंच गया कि इनके कामकाज के तरीके को ठीक करने के लिए तमिलनाडु सरकार को विधानसभा में प्रस्ताव लाना पड़ा जिसमें उन्होंने काम को पूरा करने के लिए भारत सरकार से राज्यपालों के द्वारा विधेयकों को स्वीकृति देने के लिए समय सीमा तय करने का आग्रह किया गया था.