वाराणसी:24 जनवरी को वकील विष्णु शंकर जैन ASI सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक किया.ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष ने कई दावे किए हैं.उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में सामने आया है कि ज्ञानवापी में पहले मंदिर था.इसी बीच प्रोफेसर इरफान हबीब Professor Irfan Habib का बयान भी सामने आया है.
Professor Irfan Habib ने किताब पढ़ने की दी सलाह
इस रिपोर्ट के बाद मध्यकालीन और प्राचीन भारत के जानकार एवं पद्मभूषण से सम्मानित प्रोफेसर इरफान हबीब ने प्रतिक्रिया दी है.उन्होंने कहा कि इतने सालों से वहां मस्जिद है,क्यों उसको बदलकर मन्दिर बनवाया जा रहा है.बाबरी मस्जिद मामले में जो हुआ.उसका भी कोई तारीखी सबूत नहीं है कि वहां कोई मंदिर था.मगर सुप्रीम कोर्ट ने यह कर दिया.इतिहासकारों से ज्यादा अब ये जरूरत है कि आप मुल्क में क्या बनना चाह रहे हो.प्रोफेसर ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में ASI के सर्वे की जरूरत नहीं थी.सर जदुनाथ सरकार की किताब पढ़ लेते तो सब समझ में आ जाता.अब जाहिल हैं, जिन्होंने नहीं पढ़ी उसका क्या किया जाए.
प्रोफेसर ने कहा कब तक मुल्क में ये चलता रहेगा
अलीगढ़ में प्रोफेसर इरफान हबीब ने कहा कि ये एक तरह से सही है,मगर क्या अब मुल्क में यही चलता रहेगा कि कहां मस्जिद तोड़कर मंदिर बनवाये गए और कहां मंदिर तोड़कर मस्जिद.बाबरी मस्जिद का कोई भी तारीखी सबूत नहीं था कि वहां कोई मन्दिर था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया.उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद की जगह मंदिर होने के सवाल पर कहा कि हां ये सही है.इसका जिक्र कई किताबों में भी आया है.पर आखिर देश में ये सिलसिला कब तक चलता रहेगा कि मस्जिद तोड़कर मंदिर को बनवाओ.यह गलत है कि जहां मस्जिद है वहां उन्हें तोड़कर मंदिर बनवा दिया जाए.