शुक्रवार को संसद भवन में एससी/एसटी समुदाय के बीजेपी सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की. मुलाकात का मकसद एससी/एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर चर्चा करना था. सांसदों ने संयुक्त रूप से एसटी/एससी के लिए क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा और मांग की कि इस फैसले को हमारे समाज में लागू नहीं किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे इस मामले पर गौर करेंगे.
पीएम से मुलाकात के बाद क्या बोले बीजेपी एमपी
पीएम मोदी से अपनी मुलाकात पर बीजेपी सांसद डॉ. भोला सिंह ने कहा, “आज एससी/एसटी समुदाय के सांसदों ने पीएम मोदी से मुलाकात की और उन्हें एससी आरक्षण से ‘क्रीमी लेयर’ के मुद्दे पर एक ज्ञापन सौंपा. पीएम ने आश्वासन दिया कि एससी समुदाय का आरक्षण प्रभावित नहीं होगा.”
वहीं बीजेपी सांसद प्रोफेसर (डॉ) सिकंदर कुमार ने कहा, “कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने एससी, एसटी आरक्षण पर अपना फैसला सुनाया था. दोनों सदनों के करीब 100 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और अपनी चिंताओं को उनके समक्ष रखा. प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों की बात सुनी और हमें आश्वासन दिया कि सरकार सांसदों के पक्ष में काम करेगी…”
इसके साथ ही बीजेपी सांसद धवल पटेल ने कहा कि, पीएम से सांसदों ने दृढ़ता से आग्रह किया कि इस निर्णय को लागू नहीं किया जाना चाहिए. मोदी जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे मामले की सावधानीपूर्वक समीक्षा करेंगे और इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए.
PM Modi met SC-ST MPs: एनडीए के साथी भी जता चुकें है आपत्ति
इससे पहले लोकजनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख चिराग पासवान भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अपनी आपत्ति जता चुकें हैं. उन्होंने कहा था कि, “हम सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से असहमत हैं और इसे प्रमुखता से दर्ज किया है. हम इस बात पर स्पष्ट हैं कि अनुसूचित जाति के वर्गीकरण का आधार अस्पृश्यता है, न कि शैक्षणिक या आर्थिक स्थिति। इसलिए, क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं हो सकता…आरक्षण के भीतर आरक्षण उचित नहीं है.”
वहीं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, “एससी/एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है. इसलिए रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) एससी और एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर के मानदंड को लागू करने के किसी भी कदम का कड़ा विरोध करेगी.”
विपक्ष में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, बीएसपी सुप्रीमों मायावती, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर और सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहले ही इसका विरोध कर चुके हैं