तेलंगाना के करीमनगर में अनोखी परंपरा है. यहाँ के लोग दीवाली मनाने कब्रिस्तान जाते है. सुंदर कपड़ों में सजे-धज कर लोग पटाखे, स्वादिष्ट व्यंजन और फूल लेकर कब्रिस्तान पहुंचते है और यहां दफ्न अपने सगे-संबंधियों के साथ दीवाली का जश्न मनाते हैं
किसी को नहीं पता कब शुरु हुई ये प्रथा
कब्रिस्तान में दीवाली मनाने की ये प्रथा कब और किसने शुरु की इस बारे में जानकारी किसी के पास नहीं है. लोगों का मानना है कि उसके पूर्वजों के समय से ये प्रथा चली आ रही है इसलिए वो भी इसका पालन करते हैं. उनका कहना है कि इस तरह दीवाली मनाने से उन्हें महसूस होता है क वो अब भी अपने सगे-संबंधियों से जुड़े हुए है.
प्रशासन करता है कब्रिस्तान की साफ सफाई
दीवाली की इस अनोखी परंपरा को मनाने में करीमनगर नगर निगम भी लोगों की मदद करता है. नगर निगम की ओर से कब्रिस्तान में जरूरी व्यवस्था की जाती है. इस साल भी नगर निगम ने कब्रिस्तान की साफ सफाई के साथ साथ यहां रोशनी और पीने के पेयजल जैसी सभी व्यवस्थाएं की थीं. खास बात ये है कि इस जश्न में स्थानीय नेता भी शामिल होते है. करीमनगर शहर में इस जश्न की कितनी अहमियत है इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते है कि मुख्य सड़क से लेकर कब्रिस्तान तक बैनर लगाये जाते है जिसमें खूबसूरत फ्लेक्स बैनर भी शामिल होते हैं
मृतकों का पसंदीदा खाना लेकर आते है लोग
इस अनोखी परंपरा को मनाने वाले अपने साथ अपने मृतक सगे संबंधियों की पसंद का खाना भी लाते हैं. इसमें शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजन शामिल होते है. कुछ लोगों तो अपने मृतक सगे संबंधियों की पसंद का इतना ख्याल करते है कि उनके लिए शराब, ताड़ी, बीड़ी, सिगरेट और गुटखा के पैकेट भी प्रसाद के तौर पर लाते हैं.
कोरोना के चलते पिछले 2 साल फीकी रही थी दीवाली
कोरोना के खत्म होने के बाद इस साल दीवाली पर फिर लोगों का जोश देखने को मिला. पिछले दो साल कोरोना के चलते ज्यादा लोग कब्रिस्तान नहीं जा रहे थे. लेकिन इस साल फिर से काफी संख्या में लोग कब्रिस्तान पहुंचे.