पेरिस ओलंपिक ओपनिंग सेरेमनी में भारतीय दल की पोशाक को लेकर विवाद शुरु हो गया है. मशहूर फैशन डिजाइनर तरुण तहिलियानी की डिजाइन की गई इस पोशाक की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है. ओलंपिक के उद्घाटन समारोह के दौरान राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में सजी टीम इंडिया के सीन नदी में बोट पर निकली परेट की तस्वीरे वायरल होने के चंद घंटों बाद सोशल मीडिया पर लोग टीम इंडिया की पोशाक को घटिया, भद्दा और बदरंग बता रहे है.
सोशल मीडिया पर क्या कह रहे है लोग
आपको बता दें, पेरिस ओलंपिक ओपनिंग सेरेमनी में भारतीय दल के पुरुष कुर्ता बंडी सेट पहना हुआ था, जबकि महिलाओं ने भारत के तिरंगे झंडे को दर्शाते हुए मैचिंग साड़ी पहनी थी. पारंपरिक इकत से प्रेरित प्रिंट और बनारसी ब्रोकेड वाले इस आउटफिट्स को तरुण तहिलियानी ने डिजाइन किया है.
हलांकि ये ड्रेस सोशल मीडिया यूजर को इम्प्रेंस नहीं कर पाई. राकेश कृष्णन सिम्हा नाम के एक एक्स यूजर ने लिखा, “अगर आप इसे नौकरानियों को मुफ़्त में दे दें तो वे भी यह साड़ी नहीं पहनेंगी. हर ओलंपिक की यही कहानी है – भारतीय दल आमतौर पर सबसे खराब कपड़े पहने हुए होता है. आप कह सकते हैं कि पोशाकें किसी राजनेता के किसी गुर्गे द्वारा डिज़ाइन की गई हैं, लेकिन कठोर सच्चाई यह है कि हम एक ऐसे देश हैं जिसमें पहनावे की समझ बहुत कम है – या सरल अंग्रेजी में कहें तो “बुरी तरह से कपड़े पहने हुए”.”
Even maids won’t wear this saree if you give it to them free. This is the story of every Olympics – the Indian contingent is usually the worst dressed. You can say the costumes are designed by some flunkey of some politician, but the harsh truth is we are a nation with poor… pic.twitter.com/OFLfRMPwVC
— Rakesh Krishnan Simha (@ByRakeshSimha) July 27, 2024
Vivacious Paripurna Stree नाम के एक यूजर ने लिखा, “तरुण तहिलियानी को अब रिटायर हो जाना चाहिए. यह वाकई बहुत बुरा है और उन्होंने डिज़ाइन, कपड़े, जटिल विवरण, कढ़ाई में निवेश करने के बजाय सारा पैसा अपने स्वार्थ के लिए खर्च किया होगा.”
Tarun Tahiliani should retire now. This is really bad and he must have used all the money for self goal rather than investing in design, fabric, intricate details, embroidery. pic.twitter.com/e5JblRZsF2
— Vivacious Paripurna Stree 💄 (@Blazzing_Bud) July 27, 2024
वहीं रे स्टिंग्स नाम के एक यूजर्र ने तंज कसते हुए कहा, “ओलंपिक में भारतीय दल के लिए तरुण तहिलियानी द्वारा किया गया सचमुच प्रेरणादायक काम. उन्होंने सभी को यह सोचने के लिए प्रेरित किया कि वे और बेहतर काम कर सकते थे.”
Truly inspirational work by Tarun Tahiliani for the Indian Contingent at the Olympics. He’s inspired everyone into thinking they could have done a much better job pic.twitter.com/uwUQMWV0YX
— Ray Stings (@Purba_Ray) July 27, 2024
बालाजी नाम के एक और यूजर ने लिखा, “बहुत बढ़िया तरुण तहिलियानी. यह औपचारिक पोशाक भारत की गरीबी और कुरूपता को बहुत अच्छी तरह से दर्शाती है.”
Well done Tarun Tahiliani. This ceremonial dress captures India’s poverty and ugliness quite well. pic.twitter.com/uco7IoDHaq
— Balaji (@balajiworld) July 27, 2024
वहीं कुछ लोगों का मानना था कि ओलंपिक का यह मंच भारतीय कपड़ों और परिधानों के लिए भविष्य के बाजार के रूप में भी काम करेगा. ये अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए बड़े मंच था लेकिन इसका सही इस्तेमाल नहीं किया गया.
तरुण तहिलियानी ने अपने ड्रेस के बचाव में क्या कहा
द हिंदू के साथ एक विशेष बातचीत में, तरुण तहिलियानी ने पहले इकत प्रिंट बनाम बुनाई के चयन का बचाव किया था. नई दिल्ली स्थित डिजाइनर ने कहा कि उन्होंने इकत को “देश भर में प्रचलित बुनाई परंपरा का प्रतीक” के रूप में चुना.
हालांकि, उनकी तसवा टीम को समयसीमा को पूरा करने के लिए डिजिटल प्रिंट इकत का उपयोग करना पड़ा.
उन्होंने कहा, कॉटन की जगह विस्कोस का चयन भी जानबूझकर किया गया था. कॉटन बुरी तरह से कुचल सकता था. हमने विस्कोस का इस्तेमाल किया क्योंकि यह लकड़ी के गूदा से बना फाइबर है और ये आपको सांस लेने देता है. यह रेशम से ज़्यादा ठंडा होता है,”
तरुण तहिलियानी का कहना था कि “हमें सांस लेने की क्षमता पर विचार करना पड़ा क्योंकि एथलीट गर्मी में पांच घंटे तक रहने वाले थे.”
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