पटना हाईकोर्ट ने बिहार में इस महीने होने वाले नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी है. आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर पटना HC ने मंगलवार को फैसला सुनाया. अदालत ने अपने फैसले में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य में अधिसूचित करने और चुनाव कराने के आदेश दिया. कोर्ट ने इसके लिए राज्य निर्वाचन आयोग को ये अधिकार भी दिया है कि वो चाहे तो मतदान की तारीख आगे बढ़ा सकता है.
हाईकोर्ट ने क्यों किया आरक्षण को रद्द?
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और एस. कुमार की बेंच ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों के अनुसार तब तक स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जब तक सरकार 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित ट्रिपल टेस्ट की शर्त को पूरा नहीं करती. हाईकोर्ट की बेंच ने कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने पहले जो आदेश दिया था, उसका बिहार में पालन नहीं किया गया है.
कोर्ट ने माना कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत बगैर ट्रिपल टेस्ट के ओबीसी को आरक्षण दे दिया. जबकि आरक्षण देने के पूर्व राजनीति पिछड़ापन वाली जातियों को चिह्नित किया जाना था, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं कर सीधे आरक्षण दे दिया. जो कि गलत है.
कब होना था चुनाव?
राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व में जारी चुनावी कार्यक्रम के मुताबिक स्थानीय निकायों में पहले चरण की वोटिंग 10 अक्टूबर और दूसरे चरण की 20 अक्टूबर को प्रस्तावित है। अब इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
29 सितंबर को पूरी हो गई थी सुनवाई
हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव में पिछड़ों को आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर 29 सितंबर को सुनवाई पूरी कर ली थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले में जल्द सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा था.