चंडीगढ़ : सुबह 6 बजे, 88 साल के रिटायर्ड आईपीएस अफसर इंदर जीत सिंह सिद्धू का दिन शुरू होता है। ज्यादातर लोग इस उम्र में आराम करना पसंद करते हैं। लेकिन सिद्धू एक ठेला लेते हैं और चंडीगढ़ के सेक्टर 49 में घूम-घूम कर कचरा उठाते हैं। उनके लिए यह एक दैनिक काम बन गया है। वे ऐसा साफ-सुथरा वातावरण बनाए रखने के लिए करते हैं। 1996 में पंजाब पुलिस से डीआईजी के पद से रिटायर होने के बाद, सिद्धू सेक्टर 49 में आईएएस-आईपीएस ऑफिसर्स कोआपरेटिव सोसाइटी में रहने लगे। उन्होंने देखा कि जगह-जगह कचरा फैला हुआ है। इससे वे बहुत परेशान थे। उन्होंने कई बार अधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। फिर उन्होंने खुद ही कुछ करने का फैसला किया।
लोगों ने उड़ाया मजाक, पागल भी कहा
इंदरजीत सिद्धू कहते हैं कि सफाई करने में कोई शर्म नहीं है। सफाई भगवान की भक्ति के बराबर है। शुरू में लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और उन्हें पागल भी कहा। लेकिन सिद्धू ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया। वे सफाई कर्मचारियों के खाली ठेलों में कचरा भरकर उसे सही जगह पर फेंकने लगे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत का असर दिखने लगा। अब कई स्थानीय लोग उनकी मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं।
चंडीगढ़ की खराब रैंकिंग ने किया परेशान
सिद्धू चंडीगढ़ की 'स्वच्छ सर्वेक्षण' में खराब रैंकिंग से निराश थे। उनका मानना है कि 'सिटी ब्यूटीफुल' कहलाने वाले शहर को सफाई में सबसे ऊपर होना चाहिए। वे कहते हैं कि उनका योगदान भले ही छोटा हो, लेकिन वे अपनी उम्र और ताकत के हिसाब से जितना हो सकता है, उतना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं यह काम किसी पहचान या प्रशंसा के लिए नहीं कर रहा हूं। मैं इसे तब तक करता रहूंगा जब तक मैं जिंदा हूं, ताकि शहर बेहतर बन सके। उन्होंने यह भी बताया कि उनका परिवार भी उनके इस काम में पूरा साथ देता है।
इंदरजीत सिंह बोले- होता है दुख
इंदरजीत सिंह का मानना है कि अगर हर नागरिक अपने तरीके से योगदान दे, तो चंडीगढ़ आसानी से टॉप पर आ सकता है। सिद्धू को यह काम करके बहुत खुशी मिलती है। वे यह भी बताते हैं कि शहर के कुछ हिस्सों में अभी भी कांग्रेस घास फैली हुई है और टूटी हुई शाखाएं पड़ी हैं। इससे शहर की सुंदरता तो खराब होती ही है, साथ ही यह खतरनाक भी है।
स्थानीय लोग अब करते हैं तारीफ
स्थानीय लोग सिद्धू की लगन की तारीफ करते हैं। एक पड़ोसी ने कहा कि उन्होंने किसी को भी इलाके की सफाई के लिए इतना समर्पित नहीं देखा। एक अन्य निवासी ने नगर निगम से सिद्धू के योगदान को सम्मानित करने और उन्हें 'स्वच्छता अभियान' का ब्रांड एंबेसडर बनाने की अपील की। शहर ने 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25' में 3 से 10 लाख की आबादी वाले शहरों में दूसरा स्थान हासिल किया है। लेकिन सिद्धू जैसे लोग जो चुपचाप मिसाल कायम करते हैं, अक्सर उनकी कोशिशों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। इंदर जीत सिंह सिद्धू अपने मजबूत इरादे और नागरिक कर्तव्य की भावना से न केवल अपने पड़ोस को साफ रख रहे हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को भी प्रेरित कर रहे हैं। 'स्वच्छ सर्वेक्षण' एक तरह का सर्वे है। इसमें शहरों को सफाई के आधार पर रैंकिंग दी जाती है। जो शहर सबसे साफ होता है, उसे सबसे अच्छी रैंक मिलती है।
सफाई रखने की अपील
इंजरजीत सिंह सिद्धू का कहना है कि हमें अपने शहर को साफ रखने के लिए खुद भी कुछ करना चाहिए। सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। अगर हर कोई थोड़ा-थोड़ा भी करेगा, तो हमारा शहर अपने आप साफ हो जाएगा। वह यह भी कहते हैं कि हमें अपने आसपास गंदगी नहीं फैलानी चाहिए। कचरा हमेशा कूड़ेदान में ही डालना चाहिए। अगर हम ऐसा करेंगे, तो हमारा शहर सुंदर और स्वस्थ रहेगा।