पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के मंत्रिमंडल ने आज 67.84 करोड़ रुपए की कर्ज माफी को मंजूरी दी. इससे करीब 4,800 परिवारों को लाभ हुआ. राज्य में अनुसूचित जाति के समुदाय के लिए यह बड़ी राहत मानी जा रही है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है कि 31 मार्च, 2020 तक वितरित किए गए कर्ज माफ करने की मंजूरी दी गई है. यह माफी पीएससीएफसी की ओर से इस तिथि तक वितरित किए गए सभी कर्जों के लिए है.
इस कदम से कुल 4,727 कर्जदारों को 67.84 करोड़ रुपए की राशि का लाभ होगा. जानकारी के मुताबिक कुल 4,727 कर्जदार हैं, जिनमें 4,685 डिफॉल्ट कर्जदार और 42 नियमित कर्जदार शामिल हैं जो इस माफी योजना के तहत आएंगे. इसके लिए ‘नो ड्यू सर्टिफिकेट’ पी.एस.सी.एफ.सी के जिला प्रबंधकों द्वारा जारी किए जाएंगे.
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने आगे बताया कि 30 अप्रैल, 2025 तक गणना की गई मूल राशि, ब्याज और दंड ब्याज सहित कुल 67.84 करोड़ रुपए की पूरी राशि राज्य सरकार द्वारा पी.एस.सी.एफ.सी को वापस की जाएगी. अंतिम ब्याज की राशि की गणना उस तिथि से होगी, जिस दिन सरकार इस योजना को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी करेगी. कुल माफी राशि बढ़ सकती है.
मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता ने कहा कि जिन कर्जदारों ने पहले भी कर्ज माफी योजनाओं का लाभ लिया है, वे भी इस माफी योजना का लाभ लेने के लिए पात्र माने जाएंगे. कर्ज माफी के बाद, पी.एस.सी.एफ.सी के नियमों के तहत कर्ज लेने वालों के खिलाफ वसूली के लिए कोई कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी.
कट-ऑफ तिथि तक उनके खातों को पूरी तरह से सेटल माना जाएगा. हालांकि, जिन कर्जदारों ने पी.एस.सी.एफ.सी के खिलाफ अदालती मामले दर्ज किए हैं, वे तब तक पात्र नहीं होंगे, जब तक कि वे बिना शर्त अपने मामले वापस नहीं ले लेते और इसके संबंध में दस्तावेजी सबूत नहीं देते.
बता दें कि 2011 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जाति समुदाय की आबादी पंजाब की कुल आबादी का 31.94 प्रतिशत है. इस समुदाय के कई सदस्यों ने अपनी आर्थिक प्रगति के मकसद से स्व-रोजगार उद्यम स्थापित करने के लिए पीएससीएफसी से कर्ज लिया था. कुछ कर्जदार बाहरी परिस्थितियों के कारण कर्ज चुकाने में असमर्थ रहे, जिसके कारण वे डिफॉल्ट हो गए.