पटना : अटल बिहारी वाजपेयी के समय से ही नीतीश कुमार Nitish Kumar बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर रह चुके हैं.चुनाव भले ही पांच बार हुए लेकिन नीतीश कुमार 8 बार सीएम पद की शपथ ले चुके हैं. बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो रहा है, अगर ऐसा होता है तो नितीश कुमार नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
Nitish Kumar का आरजेडी-जेडीयू का गठबंधन टूटने की कगार पर
बिहार का आरजेडी-जेडीयू का गठबंधन टूटने की कगार पर है. वहीं अटकलें चल रही हैं कि नीतीश कुमार की अगुवाई में जदयू फिर से एनडीए में शामिल हो जाएगी.आम चुनाव से पहले यह एक तरफ भाजपा के लिए बड़ी खुशखबरी होगी तो दूसरी तरफ इस फैसले के साथ ही इंडिया गठबंधन पूरी तरह बिखरा नजर आएगा. नीतीश कुमार और भाजपा के बीच लव और हेट स्टोरी पिछले 10 साल से चलती ही आ है.वही 23 साल में भले ही पांच बार ही बिहार के विधानसभा चुनाव हुए हो लेकिन नितीश कुमार आठ बार सीएम की शपथ ले चुके हैं.2022 में भी उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ फिर से आरजेडी का साथ पकड़ा और मुख्यमंत्री बन गए अब एक बार फिर से अटकल हैं कि नीतीश कुमार राजद का साथ छोड़ सकते हैं.
2000 में वह पहली बार मुख्य बिहार के मुख्यमंत्री बने
नीतीश कुमार ऐसे नेता है जिन्होंने बीजेपी की कई पीढियां के साथ काम किया है. वह अटल बिहारी वाजपेयी,लाल कृष्ण आडवाणी और मोदी ,शाह की भाजपा में काम कर चुके हैं. साल 2000 में वह पहली बार मुख्य बिहार के मुख्यमंत्री बने थे.वहीं वाजपेयी सरकार में वह केंद्र में भी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. साल 2000 में भाजपा के समर्थन से ही नीतीश कुमार ने बिहार के सीएम पद की शपथ ली थी.उस वक्त एनडीए के पास 151 MLA थे जबकि राजद के पास 159 विधायक थे .नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ तो ले ली लेकिन 7 दिनों के भीतर ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ गया. इसके बाद 2005 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में रहते हुए ही वह भाजपा के समर्थन के साथ दूसरी बार मुख्यमंत्री बने .
नीतीश 14 साल तक भाजपा के साथ चलते रहे
2010 के विधानसभा चुनाव में राजद को तगड़ा झटका लगा.एनडीए को 206 सींटे मिला जो की 85% सीटे थीं. वहीं आरजेडी 22 सीटों पर सिमट गई.इस बार जेडीयू के 141 उम्मीदवार उतारे थे. जिनमें से 115 जीत गए .2010 में नीतीश कुमार सीएम बन गए और भाजपा के सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री बने.नीतीश 14 साल तक भाजपा के साथ चलते रहे लेकिन जब प्रधानमंत्री चेहरे के रूप में नरेंद्र मोदी को प्रजेंट किया गया तो दरार पैदा हो गई.नीतीश खुद को भी पीएम पद का दावेदार मानते थे.अब उनका कहना है कि भाजपा में अटल आडवाणी का वक्त खत्म हो गया है,इसलिए वह नए लोगों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाएंगे.उन्होंने यहां तक कह दिया था कि रहे या ना रहे लेकिन भाजपा से हाथ नहीं मिलायेंगे,लेकिन राजनीति का चक्र है, एक बार फिर से नीतीश कुमार आरजेडी का साथ छोड़कर भाजपा के साथ सरकार बना रहे हैं.