Tuesday, December 24, 2024

लाचार हो गये हैं नीतीश कुमार, अब खुद कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं – उपेंद्र कुशवाहा

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी मर्जी से पार्टी और सरकार में कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. वे वही कर रहे हैं जो उनके इर्द गिर्द मंडराने वाले लोग करा रहे हैं. जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने आज ये खुलासा किया. कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार या जेडीयू के अध्यक्ष मेरे बारे में बड़ी बड़ी बातें कह रहे हैं. कहा जा रहा है कि मुझे पार्टी में बहुत सम्मान दिया गया. हकीकत ये है कि मुझे जेडीयू में लाकर झुनझुना और लॉलीपॉप थमा दिया गया था.
उपेंद्र कुशवाहा ने आज प्रेस कांफ्रेंस किया. उन्होंने सबसे बड़ा खुलासा ये किया कि नीतीश कुमार अपनी मर्जी से कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. कुशवाहा ने कहा कि कुछ दिनों पहले कुढ़नी उप चुनाव में जब पार्टी के कैंडिडेट की हार हो गयी थी तो नीतीश कुमार ने खुद स्वीकारा था कि दूसरे लोगों के कहने पर उन्होंने टिकट दिया था. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार ये भी बता चुके हैं कि दूसरे लोगों के कहने पर उन्होंने बीजेपी को छोड़ कर राजद का दामन थामा है. इससे पहले जब 2017 में उन्होंने राजद को छोड़ कर बीजेपी का साथ चुना था वह भी दूसरे लोगों के कहने पर ही किया था.

नीतीश कुमार खुद कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जेडीयू की ये स्थिति खतरनाक है. नीतीश कुमार खुद कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं. वे दूसरे लोगों के कहने पर चल रहे हैं. ऐसे में जेडीयू अब समाप्त होने की ओऱ बढ़ रहा है. तभी मैं बार-बार नीतीश जी से अपील कर रहा हूं कि वे खुद फैसला लेना शुरू करें और पार्टी को बचायें.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार और ललन सिंह ये कह रहे हैं कि मुझे पार्टी में बहुत सम्मान दिया गया. वे कहना चाह रहे हैं कि मुझे संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष औऱ एमएलसी बना दिया गया. जब मुझे संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया तो मुझे लगा था कि मुझे इस पद के मुताबिक काम करने का मौका मिलेगा. बाद में पता चला कि जो पद मुझे दिया गया था वह एक झुनझुना था. जिस दिन मुझे संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया था उस दिन पार्टी के संविधान में ऐसे किसी पद का प्रावधान नहीं था. बाद में पार्टी में संविधान में संशोधन कर इस पद का प्रावधान किया गया. मुझे संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया लेकिन मुझे बोर्ड के सदस्यों के मनोनयन करने का अधिकार नहीं दिया गया. पार्टी अध्यक्ष ने भी बोर्ड का मेंबर नहीं बनाया गया.

अति पिछड़ों का लगाव जेडीयू से घट रहा है

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संसदीय बोर्ड का अधिकार होता है किसी चुनाव में पार्टी का उम्मीदवार तय करना होता है. लेकिन पार्टी ने किसी चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में मेरी राय नहीं मांगी. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष को कहा था कि पार्टी कार्यालय से पार्टी का काम संचालित करने वाले जो लोग हैं उनमें एक अति पिछड़ा वर्ग का कोई व्यक्ति होना चाहिये. मैंने कहा था कि किसी अति पिछड़े को विधान परिषद या राज्यसभा भेज दीजिये. फिर उसे पार्टी की मुख्यधारा में रखिये. इससे अति पिछड़े वर्ग में मैसेज जायेगा कि जेडीयू में हमारी पूछ है. अभी की हालत तो ये है कि अति पिछड़ा वर्ग के एक मंत्री मदन सहनी है लेकिन उनकी स्थिति क्या है वह खुद बता चुके हैं. मुझे दिख रहा था कि अति पिछड़ों का लगाव जेडीयू से घट रहा है.

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जहां तक एमएलसी बनाने की बात रही तो मैं अपने सिद्धांतों के लिए केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद का पद छोड़ चुका हूं, एमएलसी कौन सी बड़ी चीज है. पार्टी ने मुझे एमएलसी बनाकर कोई नौकरी नहीं दी थी. एमएलसी बनाकर मुझे लॉलीपॉप थमाया गया. नीतीश जी को लगता है अगर मुझ पर अहसान किया है तो दोनों पद वापस ले लें. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

 

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