यूपी विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 नवंबर से शुरु होगा. लेकिन सदन के शुरु होने से पहले ही विपक्ष स्पीकर के सदन के अंदर मोबाइल फोन नहीं ले जाने के आदेश से नाराज़ हो गया है. सभी पार्टी के सांसद स्पीकर के इस फैसले को बदलने की मांग कर रहे हैं.
शीतकालीन सत्र से लागू होगा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों-2023
तो मोबाइल फोन पर बैन असल में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों-2023 का हिस्सा है जिसे राज्य विधानसभा ने मानसून सत्र (अगस्त 2023 में) के दौरान मांजूरी दी थी. नई नियमावली में झंडे या किसी दूसरी चीज़ के प्रदर्शित करने पर भी रोक लगाई गई है.
स्पीकर सतीश महाना ने कहा, “हां, सदन की नई नियमावली अब लागू की जाएगी, और सदन का शीतकालीन सत्र नए नियमों के प्रावधानों के तहत आयोजित किया जाएगा. नए नियम सदस्यों को सदन के अंदर मोबाइल फोन ले जाने से रोकते हैं.
हलांकि सदन में फोन नहीं ले जाने के फैसले को लेकर ये भी चर्चा है कि फिलहाल तक राज्य विधान सभा कक्ष के बाहर मोबाइल फोन को सुरक्षित जमा करने की कोई व्यवस्था नहीं है.
नए नियमों की ज़रुरत क्यों महसूस की गई
तो आपको बता दें, स्पीकर ने समाजवादी पार्टी के एक सदस्य को फेसबुक लाइव पर सदन की कार्यवाही का सीधा प्रसारण करते हुए पाया था, जिससे स्पीकर सतीश महाना को गुस्सा आ गया और उन्होंने विधायक को तुरंत सदन छोड़ने के लिए कहा.
इसके साथ ही सदन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि एक सदस्य ने सभी विधायकों की सीटों पर लगे कंप्यूटर टैबलेट में से एक का इस्तेमाल कार्ड या वीडियो गेम खेलने के लिए किया. इसके अलावा स्पीकर को सदस्यों खासकर विपक्ष के कुछ सदस्य, जो अपना विरोध दर्ज कराने के लिए झंडे, बैनर और नारे लिखी तख्तियां प्रदर्शित करते हैं वो पसंद नहीं आया था.
विपक्ष ने स्पीकर के फैसले पर क्या कहा
बात अगर विपक्ष की करें तो वो स्पीकर के इस फैसले से इत्तफाक नहीं रखता. समाजवादी पार्टी के नेता मनोज कुमार पांडे ने कहा, ”हम सदन के अंदर अपने मोबाइल फोन को साइलेंट मोड में रखते हैं. हम स्पीकर से अनुरोध करेंगे कि वह मोबाइलों को साइलेंट मोड में रहने दें. हम, सदन के सदस्यों के रूप में, अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से अलग होने का जोखिम नहीं उठा सकते.
उन्होंने कहा, “अगर हमारे निर्वाचन क्षेत्र में किसी व्यक्ति को तत्काल ध्यान देने या अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है, तो हमें लोगों की मदद करनी होगी. हम स्पीकर से अनुरोध करेंगे कि या तो सदन के अंदर मोबाइल फोन की अनुमति दी जाए या जब सदन चल रहा हो तो मोबाइल फोन पर ध्यान देने के लिए एक निजी सचिव उपलब्ध कराया जाए. ऐसे निजी सचिव को सदस्यों को किसी भी जरूरी कॉल के बारे में सूचित करने के लिए सदन में प्रवेश करने की अनुमति दी जानी चाहिए.”
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने भी कुछ ऐसे ही विचार रखे. उन्होंने कहा पहले भी सदन के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं थी. “हालांकि, हम अध्यक्ष से कुछ शर्तों के साथ मोबाइल को अनुमति देने का अनुरोध करेंगे. यह आवश्यक है क्योंकि एक जन प्रतिनिधि को किसी भी आपात स्थिति में लोगों के लिए सुलभ रहना चाहिए. ”
नई नियमावली में और किन चीज़ों की हुई मनाही
तो आपको बता दें, नई नियम पुस्तिका में शामिल अन्य नियम हैं.-
1-सदस्यों को धूम्रपान करने की मनाही है
2-सदस्य किसी भी दस्तावेज को फाड़ नहीं सकते
3-विधानसभा की लॉबी में ऊंची आवाज में बात करने की मनाही हैं
4- किसी भी सदस्य से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह स्पीकर की ओर पीठ दिखाकर खड़ा होगा या बैठे.
5- सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे स्वयं स्पीकर (कुर्सी) के पास न जाएं. जरूरत पड़ने पर वे सदन के किसी अधिकारी के माध्यम से स्पीकर को एक पर्ची भेज सकते हैं.
कब बनी थी पिछली नियमावली
1958 में जब यूपी विधान सभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम बनाए गए थे. करीब 65 साल बाद नई नियमावली पर काम किया गया है. सदन की कार्यवाही को कागज रहित बनाने के लिए राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन (एनईवीए) को लागू करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग के बाद बदलाव आवश्यक हो गया है.इसके साथ ही जब 1958 में नियमावली बनी थी तब भारत में कोई टेलीविजन नहीं था. जबकी अब राज्य विधान सभा पिछले कुछ वर्षों से अपनी कार्यवाही का सीधा प्रसारण कर रही है.