मुंबई। अंडरवर्ल्ड डान और राजनेता अरुण गवली उर्फ डैडी को 17 साल से अधिक जेल में बिताने के बाद बुधवार को नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2007 के एक हत्या के मामले में गवली को जमानत दे दी। वह मुंबई शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। मुंबई के गैंगस्टर से विधायक बने अरुण गवली के जीवन का यह सबसे बड़ा मोड़ है। गवली के खिलाफ महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा लगाए गए नियमों और शर्तों के अधीन अरुण गवली को जमानत दे दी। गवली ने 9 दिसंबर, 2019 के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसने निचली अदालत द्वारा उसे दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था। अरुण गवली 2004 से 2009 तक मुंबई के चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहे। अगस्त 2012 में मुंबई सत्र न्यायालय ने उन्हें एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
– अरुण गवली का डान से नेता तक का सफर
अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपरगांव में हुआ था। उनका जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता गुलाबराव ने बाद में मुंबई में सिंप्लेक्स मिल में मजदूर के रूप में काम किया। उनकी मां लक्ष्मीबाई एक गृहिणी थीं। आर्थिक तंगी के कारण गवली ने 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी और कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया। 1980 और 1990 के दशक में मुंबई में अंडरवर्ल्ड का बड़ा आतंक था। इसी दौरान अरुण गवली गैंगस्टर बन गया 1980 के दशक में गवली ने दाऊद इब्राहिम के साथ काम किया, लेकिन 1988 में रामा नाइक की हत्या के बाद दोनों दुश्मन बन गए। गवली ने स्थानीय मराठी समुदाय में लोकप्रियता हासिल की। 1990 के दशक में, मुंबई पुलिस के बढ़ते दबाव और गैंगवार से बचने के लिए अरुण गवली ने राजनीति में प्रवेश किया। अरुण गवली ने अखिल भारतीय सेना नामक एक पार्टी की स्थापना की। 2004 में, उन्होंने चिंचपोकली से विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने। अरुण गवली मुंबई का एक पूर्व गैंगस्टर और राजनेता है। वह राजनीतिक दल अखिल भारतीय सेना के संस्थापक हैं और 2004 से 2009 तक चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे। उन्होंने भायखला के दगड़ी चॉल क्षेत्र से प्रसिद्धि प्राप्त की। अरुण गवली को 2007 में शिवसेना नगरसेवक कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दोषी ठहराया गया था। अगस्त 2012 में सत्र न्यायालय ने उन्हें आजीवन कारावास और 17 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। आख़िरकार अरुण गवली को 17 साल से ज़्यादा जेल में रहने के बाद बुधवार दिनांक 3 सितंबर को नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा किया गया।
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