नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले 10 सालों में विदेशी सैटेलाइट लॉन्च से 439 मिलियन डॉलर की कमाई की है। लोकसभा में एक लिखित उत्तर में सिंह ने जानकारी दी कि जनवरी 2015 से दिसंबर 2024 तक, विदेशी सैटेलाइट और 3 भारतीय कस्टमर सैटेलाइट को वाणिज्यिक आधार पर इसरो के पीएसएलवी, एलवीएम3 और एसएसएलवी लॉन्च वाहनों पर लॉन्च किया गया है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान विदेशी सैटेलाइट की लॉन्चिंग से सरकार द्वारा उत्पन्न विदेशी मुद्रा राजस्व करीब 143 मिलियन डॉलर और 272 मिलियन यूरो है।
वर्तमान विनिमय दरों के मुताबिक 272 मिलियन यूरो 296 मिलियन डॉलर के बराबर हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2014 से भारत ने 34 देशों के सैटेलाइट लॉन्च किए हैं। कुल विदेशी सैटेलाइट में से अमेरिका की 232 सैटेलाइट हैं, जो कि सबसे ज्यादा है। दूसरे देशों में यूके की 83, सिंगापुर की 19, कनाडा की 8, कोरिया की 5, लक्जमबर्ग की 4, इटली की 4, जर्मनी की 3, बेल्जियम की 3, फिनलैंड की 3, फ्रांस की 3, स्विट्जरलैंड की 2, नीदरलैंड की 2, जापान की 2, इजरायल की 2, स्पेन की 2, ऑस्ट्रेलिया की 1, संयुक्त अरब अमीरात की 1 और ऑस्ट्रिया की 1 सैटेलाइट शामिल है। केंद्रीय मंत्री ने संसद को 61 देशों में विदेशी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ इसरो के सहयोग की भी जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में, 61 देशों और 5 बहुपक्षीय निकायों के साथ अंतरिक्ष सहयोग दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। सहयोग के प्रमुख क्षेत्र सैटेलाइट रिमोट सेंसिंग, सैटेलाइट नेविगेशन, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, स्पेस साइंस और प्लैनेटरी एक्सप्लोरेशन और क्षमता निर्माण हैं। इसरो ने नासा के साथ एक जॉइंट सैटेलाइट मिशन के लिए समझौता किया है, जिसका नाम निसार (नासा इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार) है, जो अभी अपने एडवांस स्टेज पर है। फ्रेंच नेशनल स्पेस एजेंसी के साथ इसरो ने तृष्णा नाम से एक जॉइंट सैटेलाइट मिशन के लिए सहयोग किया है, जो प्रारंभिक चरणों में है।
इसरो ने जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के साथ एक जॉइंट लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन को साकार करने के लिए एक प्रैक्टिकल स्टडी भी की है। इस बीच, केंद्रीय सिंह ने कहा कि सरकार ने भारत के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट मिशन, गगनयान कार्यक्रम के लिए फंडिंग को बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपए कर दिया है। गगनयान मिशन अब 2028 तक दो क्रू स्पेस फ्लाइट संचालित करने की योजना बना रहा है। कार्यक्रम में दो क्रू और छह बिना क्रू वाले कुल आठ मिशन होंगे।
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