Thursday, December 19, 2024

Mayawati attack India Alliance: क्रिमी लेयर और कोटा में कोटा वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुप क्यों है एसपी और कांग्रेस-मायावती

Mayawati attack India Alliance: शनिवार को बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने इंडिया ब्लॉक, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरक्षण के उप-वर्गीकरण और समुदायों के भीतर आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर की पहचान के मुद्दे पर उनकी चुप्पी पर सवाल उठाए हैं. मायावती ने अपने पोस्ट में लिखा कि, “एससी/एसटी ही नहीं बल्कि अन्य OBC को भी अपने आरक्षण व संविधान की रक्षा तथा जातीय जनगणना की लड़ाई अपने ही बल पर बड़ी समझदारी से लड़नी है”

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुप है एसपी-कांग्रेस-मायावती

बीएसपी प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट लिख पूछा है कि, “सपा व कांग्रेस आदि ये SC/ST आरक्षण के समर्थन में तो अपने स्वार्थ व मजबूरी में बोलते हैं, किन्तु मा. सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 1 अगस्त 2024 के निर्णय में SC/ST आरक्षण के वर्गीकरण व क्रीमीलेयर को लेकर अभी तक चुप्पी साधे हैं जो इनकी यह आरक्षण विरोधी सोच है. ऐसे में सजग रहना जरूरी. “

Mayawati attack India Alliance: ऐसी भ्रम की स्थिति क्यों?

बीएसपी सुप्रीमों ने कहा, “सपा व कांग्रेस आदि का चाल, चरित्र व चेहरा हमेशा SC/ST विरोधी रहा है, जिस क्रम में भारत बंद को सक्रिय समर्थन नहीं देना भी यह साबित करता है. वैसे भी आरक्षण सम्बंधी इनके बयानों से यह स्पष्ट नहीं है कि ये मा. कोर्ट के फैसले के पक्ष में हैं या विरोध में . ऐसी भ्रम की स्थिति क्यों? “

लड़ाई अपने ही बल पर बड़ी समझदारी से लड़नी है-मायावती

“अब सपा, कांग्रेस व अन्य पार्टियाँ आदि आरक्षण के विरुद्ध फिर से अन्दर-अन्दर एक लगती हैं, तो फिर ऐसे में केवल एससी/एसटी ही नहीं बल्कि अन्य OBC को भी अपने आरक्षण व संविधान की रक्षा तथा जातीय जनगणना की लड़ाई अपने ही बल पर बड़ी समझदारी से लड़नी है.”

क्रिमी लेयर का क्या है मामला?

इस महीने की शुरुआत में, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की सात-न्यायाधीशों की पीठ ने 6:1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि राज्य सरकारों को अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर एससी सूची के भीतर समुदायों को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी आर गवई ने यह भी कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के बीच भी क्रीमी लेयर की पहचान करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए और उन्हें आरक्षण का लाभ देने से इनकार करना चाहिए.

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