मणिपुर के वीडियो ने सोशल मीडिया पर वायरल होते ही आग लगा दी है. इतनी आग की उसकी लपट से पीएम मोदी भी अपने आप को बचा नहीं पाये और आखिरकार 77 दिनो की चुप्पी के बाद मुंह खोलना पड़ा.
देश के सुप्रीम कोर्ट को कहना पड़ा कि सरकार एक्शनले ,नहीं लेती है तो हम ऐक्शन लेंगें .
‘We will act, if #ModiGovt does not’ : #SupremeCourt pic.twitter.com/wslSzIgdQ9
— YSR (@ysathishreddy) July 20, 2023
यहां सौ से अधिक ऐसे मामले दर्ज हैं- एन बीरेन सिंह, सीएम मणिपुर
सरकार और व्यवस्था के प्रति गुस्सा चरम पर है. इस बीच में मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह का एक बयान सामने आया है. एन बीरेन सिंह ने टीवी टूडे ग्रुप से बात करते हुए कहा यहां एक नहीं ऐसे सौ से अधिक FIR दर्ज हैं. हालांकि मैने पहले वीडियो नहीं देखा था.
When asked did he not know about 18th May FIR on the 4th May incident, @NBirenSingh says there are 100's such FIR pic.twitter.com/a4mpEKdtY7
— Dr Nilima Srivastava (@gypsy_nilima) July 20, 2023
स्थिति की भयानकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये बात उस प्रदेश का सीएम कह रहे हैं जो प्रदेश पिछले ढाई महीने से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है. गृहमंत्री के ह्स्तक्षेप के बावजूद हिंसा नहीं थमी और अब इस तरह के वीभत्स दृश्य सामने आ रहे हैं. मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि प्रदेश में क्या चल रहा है? रोजाना गांव के गांव जलाये जा रहे हैं, लोगों को घरों से निकाल कर सरेआम हत्यायें हो रही है, इसके बावजूद प्रदेश का सीएम कह रहा है कि वीडियो तो कल वायरल हुआ . कहने का मतलब ये हुआ कि अगर वीडियो और सोशल मीडिया ना होता (मेन मीडिया तो देश मे है ही नहीं) तो ऐसे पैशाचिक कृत्य होते रहते और सत्ताधारी लोग आंखों पर पट्टी बांधकर बैठ रहते.
सीएम बीरेन सिंह के बयान से कई सवाल खड़े होते हैं..
-क्या वाकई मे सीएम राज्य में हो रही कृत्यों से बेखबर हैं, या उनके लिए सब कुछ सामान्य है.
—-क्या राज्य में कोई सूचना तंत्र और खुफिया तंत्र नहीं?
– —- सीमावर्ती राज्य होने के बावजूद यहां इंटेलिजेंस का कोई सिस्टम काम नही करता है? य़ा फिर केंद्र की चुप्पी को अपना कवच बना कर सीएम मुख्यमंत्री आवास मे चैन की वंशी बजा रहे हैं?
—–अगर सीएम एन वीरेन सिंह राज्य के हालात से इतने ही बेखबर हैं को क्या उन्हें इस पद पर रहने का अधिकार है?
सीएम एन बीरेन सिंह का बयान खौफनाक है, भयावह है. ये समझा जा सकता है कि दो समुदायों के लड़ाई को राजनीतिक उदासीनता ने किस जगह पर पहुंचा दिया है. आज देश शर्मसार है, मानवता शर्मसार है लेकिन प्रदेश का मुख्यमंत्री पूरी ठसक के साथ ये कहने से गुरेज नहीं कर रहा है कि उसके सत्ता में रहते ये सब हो रहा है और वो धृतराष्ट्र बनकर गद्दी पर जमा है जैसे कोई निर्जीव .कवि कुमार विश्वास ने आज एक टिप्पणी की है जो इस समय के लिए शायद एकदम मौजूं है
“कुर्सी है तुम्हारा ये जनाज़ा तो नहीं है ?
कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते ?”@NBirenSingh— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) July 19, 2023
गृहमंत्री के दौरे के बावजूद हालात का सही अंदाजा नहीं
यहां एक सवाल और भी है, जो बेहद जरुरी है. घटना 4 मई की बताई जा रही है. 18 मई को मामले में FIR भी दर्ज हो गई . इन सबके बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने हिंसाग्रस्त राज्य का दौरा कर हालात का जायजा लिया, क्या तब भी उन्हें किसी तरह की जानकारी नहीं दी गई, या उनसे भी ये सारी जानकारी छुपाई गई?
गृहमंत्री अमित शाह 29 मई से 1 जून तक तक चार दिन इंफाल में रहे, कई इलाको में घूमे, हालात का जायाज लिया फिर गृहमंत्री ने ऐसा क्या देखा कि उन्होने तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला किया?गृहमंत्री अमित शाह ने अधिकारियो के साथ बैठक की, सभी पक्षों के प्रतिनिधियो से मिले, हिंसा ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया, फिर दिल्ली लौट आये जैसे सब समान्य हो. मणिपुर की चर्चा तब फिर से हुई जब पीएम मोदी अमेरिका जाने वाले थे.आशंका थी कि पीएम से विदेशी मीडिया में सवाल पूछे जायेंगे.इसलिए सर्वदलीय बैठक बुलाई गई. इस बैठक के बाद कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाये कि बैठक में ना तो उनको बोलने का मौका मिला, न ही उनकी बात सुनी गई.दिल्ली में हुई बैठक के बाद यही लगा कि मणिपुर में सब सामान्य हो गया है और महौल शांति की ओर लौट रहा है.