मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने अन्य विभागों में वर्षों से अटैच शिक्षकों के अटैचमेंट रद्द कर उन्हें मूल स्कूलों में भेजने की कार्रवाई शुरू की है। अनुपस्थित रहने पर वेतन रोकने के निर्देश दिए गए हैं। प्रदेशभर में 100 से अधिक शिक्षक प्रभावित हुए हैं। मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह द्वारा अप्रैल माह में की गई विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान शिक्षा विभाग में अटैच सभी शिक्षकों को अपने मूल स्कूलों में भेजे जाने के आदेश दिए गए थे। विभाग के इस आदेश से शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ था। अब शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करते हुए विभिन्न विभागों में अटैच शिक्षकों के अटैचमेंट निरस्त करते हुए अपने मूल पदों पर भेज दिया है। अटैच शिक्षक दो दिन में अपने मूल संस्था में उपस्थिति दर्ज नहीं कराएंगे तो उनका इस माह का वेतन नहीं बनेगा।
उल्लेखनीय है कि बीते माह 18 अप्रैल को शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह द्वारा विभागीय बैठक लेकर उन्होंने विभाग से कहा था कि जितने भी शिक्षक विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं उन्हें मूल पद पर पहुंचाया जाए। अधिकारियों से कहा कि था कि शिक्षक का असली कार्यक्षेत्र बच्चों की कक्षा होनी चाहिए, न कि सरकारी दफ्तरों की फाइलों के ढेर। मंत्री के आदेश के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जिला शिक्षा अधिकारी तक यह संदेश पहुंचाया और पूरे प्रदेश में पदस्थ शिक्षकों के अटैचमेंट आदेश को रद्द कर दिया।
इन विभागों में दे रहे थे लंबे समय से सेवाएं
शिक्षा विभाग में कई ऐसे शिक्षक पदस्थ हैं, जो अपने राजनैतिक रसूक का फायदा उठाकर मूल स्कूल में सेवाएं नहीं देते हुए जनपद शिक्षा केंद्र, जिला शिक्षा केन्द्र, जनपद पंचायत, तहसील कार्यालय, निर्वाचन शाखा कलेक्ट्रेट में अपनी सेवाएं देते चले आ रहे हैं। इन शिक्षकों द्वारा वर्षों से स्कूलों का मुंह तक नही देखा। निर्वाचन शाखा में पदस्थ कई शिक्षक तो ऐसे हैं जो निर्वाचन कार्य नहीं होने पर भी स्कूल जाना पसंद नहीं करते हैं। स्थिति यह हैं कि इन्हें अधिकारियों का सरंक्षण भी मिला हुआ हैं। कई शिक्षक निर्वाचन शाखा के नाम पर फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं। हालांकि विभाग द्वारा आदेश तो जारी कर दिया हैं, लेकिन वर्षों से जमे यह शिक्षक मूल पद तक पुन: पहुंच पाएंगे इसे लेकर अभी संदेह है।