भोपाल: मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व और नेशनल पार्क के बाहर स्थित वन क्षेत्रों में बाघों की गणना की तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसके लिए टाइगर रिजर्व में सर्वे करने वाली टीम को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे इनकी गणना वैज्ञानिक ढंग से की जा सके. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश के जंगल बाघों के लिए अनुकूल हैं. इस बार प्रदेश में इनकी संख्या एक हजार से अधिक दर्ज की जा सकती है. हालांकि, इसकी रिपोर्ट साल 2027 में आएगी.
एप के माध्यम से होगी डिजिटल निगरानी
अधिकारियों ने बताया कि इस बार बाघों की वैज्ञानिक तरीके से गणना के लिए डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल किया जाएगा. मोबाइल एप के माध्यम से इनकी डिजिटल निगरानी की जाएगी. जंगल में बाघों को ट्रैप करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इसके साथ ही अखिल भारतीय बाघ गणना-2026 की राज्य स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यशाला में टाइगर एस्टीमेशन की वैज्ञानिक कार्य-प्रणालियों, ऐप आधारित डिजिटल मॉनिटरिंग और फील्ड अभ्यास पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
एमपी में देश के सबसे अधिक टाइगर रिजर्व
बता दें कि अगली जनगणना में बेहतर डाटा संग्रहण के साथ वन्य-प्राणी प्रबंधन को और अधिक मजबूत किया जा रहा है. ट्रांसलोकेशन और हैचरी विकास से प्रदेश में हर साल 10 से 12 फीसदी की दर से बाघ बढ़ रहे हैं. प्रदेश के वनक्षेत्रों में बाघों को बेहतर सहवास उपलब्ध कराने के लिए गांवों का विस्थापन तक किया गया.
पिछले 12 साल में टाइगर रिजर्व के विस्तार के लिए 200 से अधिक गांवों का विस्थापन हो चुका है. प्रदेश में नए वनक्षेत्रों में भी अब बाघों ने अपना ठिकाना बना लिया है. वहीं प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए पिछले 2 साल में 3 नए टाइगर रिजर्व बन चुके हैं. देश में सबसे अधिक टाइगर रिजर्व वाला राज्य मध्य प्रदेश है.
10 साल में तीन गुना तेजी से बढ़ी संख्या
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ शुभरंजन सेन ने बताया कि वर्ष 2014 में प्रदेश में जहां 308 बाघ थे. वहीं, साल 2022 में यह संख्या बढ़कर 785 तक पहुंच गई. आठ वर्षों में 477 बाघ बढ़े, जो कुल 154.87 फीसदी है. प्रदेश में बाघों की औसत वार्षिक वृद्धि दर 12.12 फीसदी रही, जो राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मिसाल है.
साल 2018 में एमपी में बाघों की संख्या 526 थी. साल 2022 की गणना में बाघों की संख्या 785 हो गई. इस अवधि में हर साल प्रदेश में 10.57 फीसदी की दर से बाघ बढ़े. अगली बाघ गणना में प्रदेश में इनकी संख्या 1 हजार से ज्यादा होने का अनुमान है."