महू। दिल्ली बम ब्लास्ट के कनेक्शन वाली अल फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद सिद्दीकी के महू स्थित मकान को तोड़ने के लिए महू कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा नोटिस चस्पा किए जाने के मामले में हाई कोर्ट ने 15 दिनों का स्टे लगा दिया है। यह स्टे उस याचिका पर दिया गया है, जो जवाद सिद्दीकी के मकान में रह रहे अब्दुल माजिद ने हाई कोर्ट में लगाई थी।
तीन प्रमुख आधारों पर कोर्ट ने दी अंतरिम राहत
याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने तीन प्रमुख आधारों पर यह अंतरिम राहत दी है। पहला, 1996-97 में भी नोटिस दिए जाने का हवाला वर्तमान नोटिस में दिया गया है, लेकिन उसके बाद की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। दूसरा, नोटिस में यह उल्लेख नहीं है कि भवन का कौन-सा हिस्सा अवैध घोषित किया गया है। तीसरा, नोटिस में सुप्रीम कोर्ट की 2025 की गाइडलाइन का पालन नहीं किया गया है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस भवन को अवैध बताकर तोड़ने की कार्रवाई की जा रही थी, उसे पहले जवाद सिद्दीकी के पिता हम्माद सिद्दीकी ने अपने बेटे जवाद को गिफ्ट किया था। बाद में जवाद सिद्दीकी ने इस भवन को अब्दुल माजिद को गिफ्ट कर दिया था, जिसके बाद से अब्दुल माजिद का परिवार यहां रह रहा है।
महू कैंट ने दिया था तीन दिनों का नोटिस
महू कैंट बोर्ड ने इस मकान को हटाने के लिए तीन दिनों का नोटिस जारी किया था, जिसके खिलाफ अबदुल माजिद ने हाई कोर्ट की शरण ली। फिलहाल कोर्ट ने अगले 15 दिनों तक किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है और इस अवधि के बाद मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश दिए हैं। दिल्ली बम धमाकों के कनेक्शन वाली अल फ़लाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद सिद्दीकी के इस मकान को लेकर चल रही कानूनी प्रक्रिया पर अब सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।

