Wednesday, March 12, 2025

Madhumita Murder case: 20 में से 10 साल से ज्यादा जेल में थे ही नहीं अमरमणि त्रिपाठी

जेल के ताले टूटेंगे अमरमणि छूटेंगे, गुजरात के बिलकिस बानो मामले के बाद अब यूपी में भी महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध के दोषियों को रिहा करने का फैसला लिया गया है. यहां भी मामला राजनीति से प्रेरित है और छोड़ने की वजह वो ही है अच्छा आचरण. वैसे इस मामले ये रिहाई की जो वजह बताई जा रही है असल में वो त्रिपाठी दम्पत्ति पर लागू भी नहीं होती है. क्योंकि 20 साल की अपनी सजा की अवधी के दौरान अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि असल में 10 साल से भी कम जेल में रहे. 10 साल से ज्यादा तो उन्होंने अज्ञात बीमारी के नाम पर अस्पताल में बिताए है. ऐसे में अच्छा आचरण और जेल में शांति बनाए रखने की बातें इनपर कैसे लागू होती है समझ से बाहर है.

लेकिन कहते है न कि, अपराध कितना भी बड़ा हो, सज़ा कितनी भी संगीन मिले, अगर सत्ता की बिसात के आप महत्वपूर्ण मोहरे हैं तो जेल भी आपको बांध कर नहीं रख सकती. मघुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि की कहानी असल में एक सत्ता की धमक के बल पर हत्या, बलात्कार जैसे मामले में उम्रकैद की सजा होने के बावजूद सज़ा में मज़ा पा रहे हैं बाहुबली नेता की कहानी है.
तो चलिए आपको बताते है अमरमणि और उनकी पत्नी की जेल में चक्की पीसने की पूरी हकीकत. ये रिपोर्ट हमने 5 महीने पहले बनाई थी. जब ये सुगबुगाहट होने लगी थी कि लोकसभा चुनाव से पहले योगी सरकार अमरमणि त्रिपाठी को रिहा कर सकती है.

जेल और अस्पताल के बीच जानिए कैसे काटी अमरमणि ने सजा

नाम अमरमणि त्रिपाठी, जुर्म गर्भवती प्रेमिका की हत्या, सजा- उम्रकैद, पता-कमरा नंबर 16, गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज.सुना आपने,मेडिकल कॉलेज. जेल नहीं.
पूर्वांचल के ‘डॉन’ कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी के राजनीतिक वारिस अमरमणि का जलवा कुछ ऐसा है कि आज भी वो अपनी मर्जी के मालिक हैं. जेल जाने से पहले सरकार चाहे बीजेपी की रही हो या सपा-बसपा की, वे हर कैबिनेट का जरूरी हिस्सा हुआ करते थे. लगातार 6 बार विधायक रहे अमरमणि त्रिपाठी उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने जेल में रहते हुए भी जीत हासिल की है. वैसे तो अमरमणि को आज गोरखपुर जेल में सलाखों के पीछे होना चाहिए था. लेकिन पिछले 10 सालों से वो और उनकी पत्नी मधुमणि अस्पताल में इलाज करा रहे हैं.

24 अक्तूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने मधुमिता हत्याकांड में पांच लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसे नैनीताल हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा. सजा सुनाए जाने के एक-डेढ़ साल के अंदर ही अमरमणि ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर उत्तराखंड के हरिद्वार की रौशनाबाद जेल से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की जेल में अपना और पत्नी मधुमणि का तबादला करा लिया था जबकि जेल मैन्युअल के अनुसार, वह ऐसा नहीं कर सकता था. 4 दिसंबर 2008 को मधुमणि और 13 मार्च 2012 को अमरमणि गोरखपुर जेल आ गए थे. गोरखपुर में भी वो ज्यादा दिन जेल में नहीं रहा. 13 मार्च 2013 से ही अमरमणि गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज में अपना इलाज करा रहे हैं, जबकि 27 फरवरी 2013 से मधुमणि यहां इलाज करा रही हैं.

बिना मेडिकल बोर्ड की सिफारिश के अस्पताल में बिताए 10 साल

मज़ेदार बात ये है कि दोनों को किसी मेडिकल बोर्ड ने इलाज के लिए रेफर नहीं किया है. कानून के मुताबिक सजायाफ्ता मुजरिम की लंबी बीमारी के मामले में मेडिकल बोर्ड बैठती है और कैदी का इलाज कहां और कैसा कराया जाए इसपर फैसला लेती है लेकिन अमरमणि और उसकी पत्नी को किसी मेडिकल बोर्ड ने अस्पताल में रहने को नहीं कहा है फिर भी दोनों 10 साल से अस्पताल में रह रहे हैं. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर की एक साल पुरानी पड़ताल में ये भी सामने आया था कि दोनों पति-पत्नी को बीमारी क्या है इसका पता भी अभी डॉक्टरों को ठीक से नहीं है.

मार्च 2023 में निधि शुक्ला ने जताई थी रिहाई की आशंका

इस साल मार्च से ही ये चर्चा आम थी कि अमरमणि की रिहाई हो सकती है. खबर थी कि जिस जेल में अमरमणि और मधुमणि को होना चाहिए था. यानी गोरखपुर जेल वो इनके अच्छे व्यवहार को देखते हुए इनकी सज़ा माफ करने की सिफारिश करने वाली है. यही वो खबर थी जिसने अमरमणि की प्रेमिका कही जाने वाली मृतक मधुमिता शुक्ला की बहन को बेचैन कर दिया था. तब निधि शुक्ला ने आरोप भी लगाया था है कि शासन-प्रशासन में रसूख के चलते अमरमणि और उसकी पत्नी की सज़ा माफ किए जाने की कोशिशें चल रही हैं. जो 5 महीने बाद सच साबित हो गया है.
5 महीने पहले की हमारी रिपोर्ट भी देखें-

बीजेपी के लिए क्यों जरूरी है अमरमणि त्रिपाठी

चलिए अब बात कर लेते हैं इस बाहुबली अपराधी की राजनीति की….तो अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी इस वक्त जिस अस्पताल में हैं, यहां से करीब 80 किलोमीटर दूर महाराजगंज की नौतनवा विधानसभा सीट से अमर और मधुमणि के बेटे अमनमणि त्रिपाठी ने 2022 का चुनाव बीएसपी के टिकट पर लड़ा और हार गया था. वह इस सीट से 2017 में निर्दलीय जीता था. इससे पहले वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर भी चुनाव लड़ चुका है लेकिन पत्नी सारा शुक्ला की हत्या में नाम आने के बाद समाजवादी पार्टी ने उसे टिकट नहीं दिया था. जिसके बाद 2017 में जेल से चुनाव लड़ कर उसने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को हरा दिया था.
अमरमणि त्रिपाठी का रसूख कितना है इसका एक उदाहरण 2019 में भी देखने को मिला था जब बेटी की सगाई के लिए जेल से पैरोल नहीं मिला तो अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें दिल्ली भेजने का इंतजाम कर दिया था. दरअसल 17 फरवरी 2019 को उनकी बेटी की सगाई थी और ठीक 16 फरवरी 2019 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अमरमणि की तबीयत अचानक खराब हो गई और उनके खास डॉक्टरों ने उन्हें कहीं और नहीं सीधा दिल्ली के एम्स रेफर कर दिया. वही दिल्ली जहां 17 फरवरी को उनकी बेटी की सगाई थी.
सिर्फ गरीबों को होती है सज़ा!
तो अब आप समझ ही गए होंगे कि जेल सिर्फ गरीबों को होती है रसूख वालों के लिए तो ये भी एक रिजॉर्ट ही है. फिर चाहे बाबा राम-रहीम हो जो हर चुनाव से पहले पैरोल पा जाते हैं. या अदाकारा जैक्लीन फर्नेंडिस का कथित महाठग बॉयफ्रेंड सुकेश चंद्रशेखर जिसके जेल वाले सेल में ही जेकलीन अकसर उससे मिलने आ जाती थी. और हाल ही में सुकेश के सेल में पड़े छापे में डेढ़ लाख रुपये की गुच्ची की चप्पलें और 80 हजार रुपये कीमत की दो जींस बरामद की गईं थी. इनके लिए जेल भी खेल ही है. बात अगर अमरमणि की करें तो इन जनाब ने तो न्याय का मज़ाक ही बना दिया है. बिना किसी बीमारी के, बिना किसी डॉक्टरी सलाह के लगातार 10 साल से जेल के बदले अस्पताल के कमरे में रहना मजाक ही तो है.
और अब तो उन्हें इस आलीशान रिज़ॉर्ट से भी रिहाई मिलने वाली है. वो भी अच्छे आचरण और शांति बनाए रखने के चलते. ये बात अलग है कि वो जेल में 10 साल से भी कम रहे.

ये भी पढ़ें- Madhumita Murder case: अमरमणि की रिहाई का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने नहीं लगाई…

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