लखनऊ में LDA ने नजूल की जमीन पर बने बहुमंजिला यजदान भवन को तोड़ने का काम शुरु कर दिया है. ये कार्रवाई आवंटियों की तरफ से लखनऊ हाई कोर्ट में दाखिल याचिका जिसमें बिल्डिंग ध्वस्तीकरण पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी के नामंजूर होने के बाद शुरु की गई है. कोर्ट ने बिल्डिंग ध्वस्तीकरण पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था. बिल्डिंग तोड़ने को लेकर कोई बवाल न हो इसलिए मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.
उत्तर प्रदेश: लखनऊ में यजदान बिल्डिंग को तोड़ने की करवाई शुरू हुई।
आवंटियों की तरफ से दाखिल याचिका पर लखनऊ हाई कोर्ट ने बिल्डिंग ध्वस्तीकरण पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया था।
मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। pic.twitter.com/46iz1AAIpc
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 19, 2022
फ्लैट मालिकों का क्या कहना है
यजदान बिल्डिंग में एक फ्लैट मालिक का कहना है कि एलडीए ये कार्रवाई अपनी गलती छुपने के लिए कर रही है. उन्होंने कहा “हमारे इसमें 3 फ्लैट थे. हमें हमारा पैसा वापिस चाहिए. RERA ने इस बिल्डिंग का रजिस्ट्रेशन कैसे किया? LDA को इस बिल्डिंग की असलीयत पता करने में 5-6 साल लग गए. LDA यह कार्रवाई अपनी कमियां छुपाने के लिए कर रही है. इसमें LDA ज़िम्मेदार है.”
मकान खरीदने वालों पर क्या बोले थे LDA के अपर सचिव
बहुमंजिला रिहायशी इमारत को गिराने के फैसले पर जब LDA के अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा से पूछा गया था कि इस इमारत में जिनके मकान है उनका क्या होगा तो उन्होंने साफ कहा कि खरीददारों को मकान लेने से पहले जांच करनी चाहिए थी. ये देखना चाहिए था कि प्राधिकरण ने इसका नक्शा पास किया है कि नहीं. ज्ञानेंद्र वर्मा ने कहा कि मकान मालिकों को पैसा वापस देने की ज़िम्मेदारी बिल्डरों की है.
क्या है मामला
लखनऊ में विकास प्राधिकरण का कहना है कि इस मामले में 2016 से कार्रवाई चल रही है. 2016 में ही बिल्डरों को नोटिस भेजा गया था. लेकिन नोटिस के बावजूद यहां निर्माण का काम चलता रहा. LDA के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने इस परिसर को भी सील किया था. जिसके बाद बिल्डर प्रधिकरण के ध्वस्तिकरण के आदेश के ख़िलाफ़ कमिश्नर से लेकर उच्च न्यायालय तक गया था, जहां इनकी याचिका खारिज हुई है.