Laloo-Tejashwi Statement : बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और इसको लेकर राजनीतिक दलों की तैयारियां जोर शोर से चल रही है. बिहार में फिलहाल बीजेपी के साथ नीतीश कुमार की सरकार चल रही है और राजद और कांग्रेस विपक्ष में है लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि एक बार से फिर से राजद के सत्ता में आने और सत्ता में बने रहने के लिए कवायदें शुरु हो गई है.
Laloo-Tejashwi Statement : शुरु हुई राजनीतिक हलचल
बिहार की हवा में एक नहीं कई ऐसी खबर तैर रही है जो अजब-गजब गठबंधनों की और इशारा कर रही हैं. नए समिकरणों को लेकर कई कहानियां कही जा रही है. इसमें सबसे ताजा है, नीतीश कुमार भाजपा को किनारे कर राजद को साथ ले सकते हैं. इस खबर को तब और हवा मिल गई जब राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने ये बयान दे दिया कि “नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे खुले हैं. नीतीश कुमार को भी अपने दरवाजे खोलकर रखने चाहिए. नीतीश आते हैं तो साथ काहे नहीं लेंगे?”
Lalu Yadav On Nitish Kumar: नीतीश साथ आएंगे तो उनका स्वागत । #shorts #ytshorts#laluyadav #LaluPrasadYadav #NitishKumar pic.twitter.com/5Xi9Wn2jGf
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मीडिया को शांत करने के लिए पिता ने दिया बयान – तेजस्वी यादव
लालू प्रसाद यादव के इस बयान के बाद एक बार फिर से बिहार में राजनीतिक हलचल तेज हो गई, और कयास लगाये जाने लगे हैं कि बिहार में एक बार फिर कुछ होने जा रहा है. हालांकि तेजस्वी यादव ने अपने पिता की बातों से अलग स्टैंड लेते हुए कहा ऐसा कुछ नहीं है. बयान को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिये.
“लालू जी ने मीडिया को शांत करने के लिए बोला था”
◆ RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा
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तेजस्वी लालू यादव के बयान को गंभीरता से ना लेने की बात कहने के साथ ही ये इसके भी राजनीतिक मायने लगाये जा रहे हैं. लोग कयास लगा रहे हैं कि आखिर एक तरफ पिता लालू प्रसाद यादव नीतीश कुमार को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज रहे हैं, वहीं बेटा तेजस्वी चाचा नीतीश के लिए दरवाजे बंद कर रहे हैं. तो क्या राजद के अंदर सब ठीक है?
हलांकि सीएम नीतीश कुमार ने भी लालू प्रसाद यादव के बयान को गंभीरता से ना लेने की बात कही है.उन्होंने कहा कि लालू जो बोलते हैं, उसका कोई मतलब नहीं है. नीतीश कुमार से मंत्रियों ने लालू प्रसाद के ऑफर को सिरे से खारिज कर दिया है. इस लिए ये कहा जा सकता है हैं कि चुनावों का मौसम आ रहा है तो नेताओं की ऐसी बयानबाजियां तो आती रहेंगे लेकिन लोग याद कर रहे है कि ऐसा ही हाल एक साल पहले भी था जब ना-ना करते करते नीतीश कुमार ने राजद की लालटेन छोड़ अपने तीर कमान पर बीजेपी के कमल को बिठा लिया था और नीतीश कुमार ने बिहार में बीजेपी के साथ सरकार बना ली थी.
वैसे पिछले हफ्ते नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को लेकर भी अफवाहें जोरों पर थी.खबर थी कि इस बार नीतीश कुमार भतीजे तेजस्वी यादव को आउट करके महागठबंधन को एक साथ करना चाहते है. खबर ये भी थी कि दिल्ली दौरे का असल मकसद राहुल गांधी और खड़गे से मुलाकात थी. खासकर तब जब लालू यादव ने इंडिया गठबंधन के नेता के तौर पर ममता बनर्जी के नाम का समर्थन कर दिया है.
कुल मिलाकर कहे तो बिहार में चुनाव के पहले और चुनाव के बाद तक समीकरणों के बनने बिगड़ने की संभावना रहती है. ऐसे में 2025 बिहार के लिए अफवाहों और कयासों का साल रहने वाला है.