Thursday, November 21, 2024

Prashant Kishor: क्या बिहार के अन्ना बनना चाहते है प्रशांत किशोर? बिहार के पूनर्निमाण को लेकर क्या है उनकी सोच?

बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव का दावा करने वाले प्रशांत किशोर Prashant Kishor क्या दूसरे अन्ना हज़ारे बनने का सपना देख रहे है. प्रशांत किशोर के 2025 के चुनाव में अपने आंदोलन जन स्वराज को राजनीतिक पार्टी का रुप देने का फैसला तो कुछ ऐसा ही लगता है. हलांकि अन्ना के आंदोलन से अलग प्रशांत ने अपने किसी अरविंद केजरीवाल का नाम आगे नहीं किया है बल्कि बिहार की जनता से ही अपील की है कि वो खुद नेता बने.

Prashant Kishor या अन्ना हज़ारे-2?

प्रशांत किशोर ने पटना में अपनी जन सभा के दौरान प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि नेता बनने की कोई घुट्टी या फिर टॉनिक नहीं होती है. अगर ऐसा कुछ होता तो वह खुद ही पी लेते. ऐसी कोई घुट्टी नहीं है.
इतना ही नहीं जन सभा के बाद अपने पोस्ट में परशांत किशोर ने लिखा की, बिहार के हजारों गांवों और छोटे शहरों में दो साल से अधिक समय तक पदयात्रा करने के बाद, हमने औपचारिक रूप से पार्टी गठन की प्रक्रिया शुरू की है, ताकि एक बेहतर विकल्प दिया जा सके, जो दशकों के दुख को खत्म करेगा और #बिहार के बच्चों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करेगा.

2 अक्तूबर को पार्टी लॉन्च करेंगे किशोर

अपनी 28 जुलाई को पटना में हुई जनसभा का जिक्र कर उन्होंने लिखा… यह प्रक्रिया 02 अक्टूबर को पार्टी के आधिकारिक लॉन्च से पहले आठ पदाधिकारियों के सम्मेलन के साथ शुरू हुई.

अगले दो महीनों में 1.5 लाख जन सुराज पदाधिकारी और #जन सुराज के लाखों सहभागी “संस्थापक सदस्य” पार्टी की प्रमुख प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करेंगे, पार्टी के संविधान का मसौदा तैयार करेंगे और उसे अंतिम रूप देंगे, और अंत में पार्टी के नेता (नेताओं) का चुनाव करेंगे.

प्रशांत किशोर अपनी पार्टी में कोई पद नहीं लेंगे

जैसा कि वादा किया गया था, मैं पार्टी में कोई पद नहीं मांगूंगा और अगले कई महीनों तक जमीनी स्तर पर अपनी पहुंच जारी रखूंगा. और यह सब एक ऑनलाइन सर्वेक्षण में यहां के लोगों द्वारा चुनी गई प्रार्थना से शुरू हुआ!
क्या सिर्फ मौजूदा राजनीतिक ढांचे को तोड़ना चाहते है किशोर
प्रशांत के इस पोस्ट में कई बात छुपी है. एक प्रशांत अपने राजनीतिक दल में कोई पोस्ट नहीं लेंगे…यानी अन्ना की तरह वो भी सिर्फ बदलाव लाने में यकीन करते है उस क्रांति को जनकल्याण के रास्ते पर ले जाना उनका मकसद नहीं है.
प्रशांत किशोर के पोस्ट और जन स्वराज को लेकर उनकी सोच से तो ये ही लगता है कि प्रशांत का मकसद सिर्फ बिहार के राजनैतिक ढांचे को तहस-नहस करना है. वह जिम्मेदारी के साथ एक नए बिहार की राह सशक्त करने में विश्वास नहीं रखते.

प्रशांत किशोर का मकसद आरजेडी-जेडीयू को नुकसान पहुंचाना?

उनकी अपने ही राजनीतिक दल से दूरी रखने ये भी बताता है कि प्रशांत को अपनी कोशिश पर भरोसा नहीं है. वो सिर्फ जेडीयू और आरजेडी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से मैदान में उतर रहे है. कुल मिला कर कहे तो प्रशांत किशोर की राजनीतिक पारी सिर्फ तोड़फोड़ तक सीमित है…..वो बिहार की राजनीति में भूकंप तो लाना चाहते है लेकिन पूनर्निमाण को लेकर उनकी सोच साफ नहीं है. अब ये बिहार की जनता को तय करना है कि वो एक और अन्ना अपने लिए चाहते है या फिर जो चला आ रहा है उसे में धीरे-धीरे हो रहे बदलाव से खुश है.

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