अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने वाशिंगटन के जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक भारतीय छात्र बदर खान सूरी को हिरासत में लिया है. छात्र को फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के साथ कथित संबंधों और सोशल मीडिया पर हमास के प्रचार प्रसार करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है.
होमलैंड सिक्योरिटी विभाग के एक बयान का हवाला देते हुए गुरुवार को यह बात बताई. छात्र के वकील ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन उसे अमेरिकी विदेश नीति को नुकसान पहुंचाने वाला मान कर उसे डिपोर्ट करने की मांग कर रहा है.
कब किया गया गिरफ्तार
बदर खान सूरी के वकील ने कहा कि उन्हें अलेक्जेंड्रिया, लुइसियाना में हिरासत में लिया गया है और वो इमीग्रेशन कोर्ट में अदालत की तारीख मिलने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सूरी को संघीय एजेंटों ने सोमवार रात वर्जीनिया के रॉसलिन में उनके घर के बाहर से गिरफ्तार किया था.
व्हाइट हाउस के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर के दोबारा पोस्ट किए गए बयान में भारतीय छात्र के खिलाफ आरोपों के सबूत का हवाला नहीं दिया गया है. इसमें यह भी कहा गया कि राज्य सचिव मार्को रुबियो ने निर्धारित किया कि सूरी की हरकतों ने “उन्हें निर्वासित कर दिया”. जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के छात्र पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने और “विरोधीवाद” फैलाने का भी आरोप है.
बदरखान सूरी की गिरफ्तारी के बाद यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक हमें सूरी को हिरासत में लिए जाने की वजह नहीं बताई गई है. साथ ही कथित गैरकानूनी गतिविधियों में उसके शामिल होने की हमें कोई जानकारी नहीं थी.
कौन हैं बदरखान सूरी?
बदर खान सूरी अमेरिका में छात्रा वीजा पर रहे हैं. उन्होंने अमेरिकी नागरिक मफेज़ सालेह से शादी की है. वो जॉर्जटाउन के अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं, जो यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस का हिस्सा है.
जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के अनुसार, सूरी की पत्नी मफेज सालेह गाजा से हैं और उन्होंने अल जजीरा और फिलिस्तीनी मीडिया आउटलेट्स के लिए लिखा है. साथ ही उन्होंने युद्धग्रस्त गाजा में विदेश मंत्रालय के साथ भी काम किया है.
सूरी ने एक भारतीय यूनिवर्सिटी से शांति और संघर्ष अध्ययन ( Peace And Conflict Studies) में पीएचडी की है और इस सेमेस्टर में “दक्षिण एशिया में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यक अधिकार” विषय पर एक क्लास को पढ़ा रहे हैं.
देश में पहले भी हुई गिरफ्तारी
इससे पहले इस महीने की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक छात्र महमूद खलील को गिरफ्तार किया और उसे डिपोर्ट करने की कोशिश की. आरोप था कि महमूद खलील फिलिस्तीनी समर्थक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ था. हालांकि, खलील अब अपनी हिरासत को अदालत में चुनौती दे रहे हैं.
ट्रंप ने बिना सबूत के दावा किया है कि खलील हमास का समर्थन करते हैं. हालांकि, खलील के वकीलों का कहना है कि उसका उस समूह से कोई संबंध नहीं है, जिसे अमेरिका “विदेशी आतंकवादी संगठन” कहता है.