Keshav Mourya : यूपी बीजेपी में घमासान जारी है. कांवड़ यात्रा विवाद ने भले ही खबरों का रुख मोड़ दिया हो लेकिन सीएम योगी के खिलाफ बगावत का झंडा अब भी बुलंद है. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या कई मौर्चों पर सीएम को घेरने की कोशिश कर रहे है. फिर चाहे मामला आउटसोर्सिंग में आरक्षण का हो या फिर 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण देने में गड़बड़ी की बात हो. डिप्टी सीएम केशव मौर्या आरक्षण की आड़ में योगी के हिंदूत्व पर हमला कर रहे है.
Keshav Mourya ने सीएम की गैरमौजूदगी में की बैठक
सोमवार को तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गैर-मौजूदगी में लखनऊ में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने मीटिंग भी कर डाली. मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष और संगठन माहमंत्री भी मौजूद रहे. जानकारी के मुताबिक सीएम योगी का आजमगढ़ और वाराणसी में कार्यकर्म पहले से तय था इसलिए वो बैठक में शामिल नहीं हो पाए. इसलिए उनकी गैर मौजूदगी में पार्टी के चार वरिष्ठ पदाधिकारियों ने बैठक कर ली.
बैठक में क्या चर्चा हुई इसका खुलासा तो नहीं हुआ लेकिन उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इसी को लेकर प्रदेश बीजेपी में हलचल है.
डिप्टी सीएम ने मांगी सीएम ऑफिस से जानकारी
वैसे बात सिर्फ बैठक की नहीं है. उपमुख्यमंत्री सीएम योगी को ऐसे मुद्दों पर घेरने की कोशिश कर रहे है जिससे उनकी हिंदू ह्रदय सम्राट की छवि को चोट पहुंचे.
पिछले साल के बाद फिर एक बार 15 जुलाई को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विभाग को एक चिट्ठी लिखी है, डिप्टी सीएम ने नियुक्ति और कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आरक्षण का ब्यौरा मांगा है.
आउटसोर्सिंग में आरक्षण की मांगी जानकारी
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पूछा है आउटसोर्सिंग में कितने लोगों को आरक्षण का फायदा मिला है. उन्होंने कार्मिक और नियुक्ति विभाग से जानकारी मांगी है.
इसके साथ ही केशव मौर्या ने 2018 में विज्ञापन निकाला की गई शिक्षक भर्ती को लेकर भी सवाल पूछा.
इन दोनों ही मामलों में यूपी की योगी सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि कॉन्ट्रैक्ट पर दी जाने वाली नौकरियों में आरक्षण की अनदेखी हो रही है. मतलब पिछड़े और दलित कोटे को रिजर्वेशन नहीं दिया जा रहा है.
दूसरा मामले यानी 69 हजार शिक्षक भर्ती में भी आरोप ये ही है कि इस मामले में आरक्षण देने में गड़बड़ी हुई. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी इस मामले की जांच की और आरोप सही पाए. अभी ये मामला हाई कोर्ट में लंबित है. बीजेपी की प्रदेश में सहयोगी और मोदी सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल पहले ही सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिख ये मामला उठा चुकी है.
हलांकि खबर ये है कि डिप्टी सीएम को आउटसोर्सिंग के जरिए दी गई नौकरियों की जानकारी नहीं दी गई. बताया जा रहा है कि 9 साल में दी गई नौकरियों के आकड़े मौजूद नहीं हैं.
क्या योगी-मौर्या लड़ाई का फायदा अखिलेश यादव को मिलेगा ?
ऐसे में अपने ही डिप्टी के द्वारा आरक्षण जैसे मुद्दे पर घेरा जाना सीएम को साथ साथ पार्टी के लिए भी बड़ी परेशानी पैदा कर सकता है. भले ही आज केशव मौर्या सीएम योगी को आरक्षण पर घेर कुर्सी से उतारने में कामियाब हो जाए लेकिन आरक्षण जैसे मुद्दे पर हिंदू वोटबैंक का विभाजन बीजेपी के लिए फायदेमंद नहीं है. उसे तो हिंदुत्व के नाम पर एकजुट समाज से फायदा है.
शायद तभी आजकल समाजवादी पार्टी प्रमुख की बाछे खिली हुई हैं. वह एक के बाद एक ऑफर केशव प्रसाद मौर्या के लिए पेश कर रहे है. संसद के बाहर जब पत्रकारों ने अखिलेश से उनके मॉनसून ऑफर-100 लाओं सरकार बनाओं के बारे में पूछा तो अखिलेश बोले ‘समय के साथ बदलता रहेगा ऑफर, इसके बाद विंटर ऑफर चलेगा’
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