अवैध खनन मामला झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गले की हड्डी बन गया है. पहले इस मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता जाने का डर था अब ईडी ने समन जारी कर दिया है. गुरुवार को झारखंड के मुख्यमंत्री को दिल्ली में ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है.
अवैध खनन मामला में पंकज मिश्रा की हुई है गिरफ्तारी
ईडी इस मामले में पंकज मिश्रा को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. साहिबगंज के रहनाे वाले पंकज मिश्रा को हेमंत सोरेन का करीबी बताया जाता है. 8 जुलाई को ईडी ने पंकज मिश्रा और उनके व्यपारिक सहयोगियों के 18 ठिकानों पर छापे मारे थे. इसी दौरान ईडी ने पंकज मिश्रा के घर से एक लिफाफा बरामद किया था. इस लिफाफे के तार सीएम से जुड़े होने की बात कही जा रही है.
लिफाफे में क्या था?
पंकज मिश्रा के साहिबगंज के घर पर छापे के दौरान एक लिफाफा ईडी के हाथ लगा था. बताया जा रही है कि इस लिफाफे में हेमंत सोरेन की चेकबुक थी जिसके दो चेक पर हेमंत सोरेन ने साइन भी किए थे. पंकज और हेमंत सोरेन के रिश्ते कितने करीबी थे इसके सबूत के तौर पर ईडी को फोन कॉल्स की भी जानकारी हाथ लगी है जो अस्पताल में भर्ती पंकज ने अधिकारियों को की थी. आरोप है कि पंकज ने मुख्यमंत्री का नाम लेकर अवैध खनन मामले में अधिकारियों को डराया धमकाया.
अवैध खनन मामले में पहले विधानसभा सदस्यता जाने का था डर
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता उस समय खतरे में नज़र आने लगी थी जब बीजेपी की शिकायत पर चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजी थी. मामला ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से जुड़ा था.आरोप था कि हेमंत सोरेन ने रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज की एक खदान अपने नाम करने का आरोप है. इस मामले में बीजेपी नेताओं ने सोरेन पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग राज्यपाल से की थी. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत अन्य बीजेपी नेताओं की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भारत के संविधान के अनुच्देद 191 (ई) के साथ-साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत पत्थर खनन का पट्टा प्राप्त करने के लिए अयोग्य किया जाना चाहिए. बीजेपी नेताओं की इस शिकायत के बाद राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से परामर्श मांगा था.