दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) को एक एनजीओ द्वारा दायर मानहानि मामले में समन जारी किया. एनजीओ ने अपनी याचिका में दावा किया है कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ने भारत, इसकी न्यायपालिका और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाया है. जस्टिस सचिन दत्ता ने बीबीसी (यूके) के अलावा बीबीसी (इंडिया) को भी नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने गुजरात स्थित एनजीओ जस्टिस फॉर ट्रायल की दायर याचिका पर बीबीसी से प्रतिक्रिया मांगी है.
आपको बता दें, बीबीसी पर पीएम मोदी की प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये का मुकदमा दायर किया गया है.
बीबीसी भारत और यूके दोनों को जारी किया नोटिस
याचिका में कहा गया है कि बीबीसी (भारत) स्थानीय संचालन कार्यालय है और बीबीसी (यूके) ने वृत्तचित्र – “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” जारी किया है – जिसमें दो एपिसोड हैं.
एनजीओ की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि बीबीसी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा उस डॉक्यूमेंट्री के संबंध में है जिसने भारत और न्यायपालिका सहित पूरी प्रणाली को “बदनाम” किया है.
सिंतबर को होगी अगली सुनवाई
हरीश साल्वे ने दलील दी कि डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री के खिलाफ भी आरोप लगाया गया है. वादी की ओर से यह तर्क दिया गया कि डॉक्यूमेंट्री मानहानिकारक आरोप लगाती है और देश की प्रतिष्ठा पर धब्बा लगाती है. हाई कोर्ट ने इसपर कहा कि, “प्रतिवादियों को सभी स्वीकार्य तरीकों से नोटिस जारी करें” और अगली सुनवाई के लिए 23 सितंबर की तारीख तय कर दी.
बीबीसी ने फिलहाल समन पर टिप्पणी करने से मना किया
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक बीबीसी के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम अदालती कार्यवाही से अवगत हैं. फिलहाल इस मामले में टिप्पणी करना अनुचित होगा.”
आपको बता दें, बीबीसी ने पहले कहा था कि वह डॉक्युमेंट्री के लिए अपनी रिपोर्टिंग पर कायम है, जिसे भारत में प्रसारित नहीं किया गया था, और यह कि “इसका कोई एजेंडा नहीं है”.