संवाददाता राजीव रंजन विमल,जहानाबाद : बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर 27 दिसंबर को मोदनगंज प्रखंड के बीबीएम कॉलेज ओकरी आएंगे. पहली बार जिले के किसी गांव में राज्य के गवर्नर का प्रोग्राम हो रहा है. राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर यहां पूर्व सांसद किंग महेन्द्र प्रसाद King Mahendra की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. इलाके के मशहूर पूर्व सांसद किंग महेंद्र प्रसाद की प्रतिमा के अनावरण का काफी दिनों से इंतजार हो रहा था. अब गर्वनर की सहमति मिलने के बाद ये तय हो गया है कि राज्यपाल यहां आकर प्रतिमा का अनावरण करेंगे.
King Mahendra की प्रतिमा अनावरण से लोगों में उत्साह
गांव में इस कार्यक्रम को लेकर उत्साह है. गांव वालों को निमंत्रण देकर बुलाया जा रहा है. मालूम हो कि पूर्व सांसद स्वर्गीय महेन्द्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र ने जिले के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण काम किया है. जहानाबाद के इस इलाके में हुए विकास कार्यों में पूर्व सांसद महेन्द्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र का बहुत योगदान रहा है. इलाके के लोगों के लिए उनकी छवि एक पालनहार की रही. फिलहाल उनके भाई उमेश शर्मा भी उन्हीं की राह पर चलते हुए अपनी कंपनी की तरफ से जिले के सौ गांवों को गोद लेकर यहां विकास कार्यों को बढ़ा रहे हैं.
कौन थे किंग महेंद्र ?
जहानाबाद के किंग महेंद्र को देश के सबसे अमीर सासंदों में गिना जाता था. किंग महेंद्र लगभग 4 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक थे लेकिन ये बात कम ही लोगों को पता होगी कि किंग महेंद्र हमेशा से इतने अमीर नहीं थे बल्कि मात्र 24 साल की उम्र में गरीबी और बेरोजगारी से तंग आकर बिहार छोड़कर मुंबई भाग गये थे. फिर मुंबई से 16 साल बाद किंग बनकर लौटे. दो साल पहले दिल्ली में इलाज के दौरान 27 दिसंबर 2021 को 81 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. किंग महेंद्र के जीवन की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से भी ज्यादा रोचक है. एक गरीब किसान का बेटा मात्र 24 साल की उम्र में गरीबी और बेरोजगारी से तंग आकर घर से भाग गया और 16 साल बाद उसी शहर में अरबपति किंग बनकर लौटा.
एरिस्टो फर्मास्यूटिकल के मालिक थे किंग महेंद्र
जहानाबाद के गोविंदपुर गांव के रहने वाले किंग महेंद्र देश की मशहूर दवा कंपनी एरिस्टो फर्मास्यूटिकल के मालिक थे. इस कारोबार में उन्होने अरबों की संपत्ति कमाई .
7 बार लगातार सांसद रहे किंग महेंद्र
किंग महेंद्र का कई पार्टियों के साथ राजनीतिक संबंध रहे . वो कई पार्टियों से चुनाव लड़े और कभी भी चुनाव नहीं हारे. पहली बार 1980 में लोकसभा सांसद बने और 1985 में पहली बार राज्यसभा पहुंचे. इसके बाद ताउम्र लगातार अलग अलग पार्टियों से राज्यसभा पहुंचते रहे.
कांग्रेस से लेकर जेडीयू तक में रहे किंग महेंद्र
किंग महेंद्र पहले कांग्रेस में थे, फिर आरजेडी के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे. 2012 में उन्होंने जेडीयू का हाथ थामा और जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया. महेंद्र सिंह का दबदबा इस बात से भी समझा जा सकता है कि 2012 में जेडीयू से राज्यसभा सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर राज्यसभा में एक सीट भी खाली होती तब भी मेरा ही चयन हुआ होता.