पटना
अभिषेक झा, ब्यूरो चीफ
बिहार का एक बड़ा नटवरलाल गिरफ्तार हुआ है.नटवरलाल पटना हाईकोर्ट का सीनियर जज बनकर बिहार के डीजीपी को फोन करता था. वह तत्कालीन एसएसपी आदित्य अग्रवाल को बचाने के लिए जज के नाम पर डीजीपी पर दबाव बना रहा था. आर्थिक अपराध इकाई को उच्च स्तरीय जांच का आदेश मिला. इसके बाद ईओयू ने 24 घंटे में ही पूरे मामले से पर्दा उठा दिया और नटवरवाल अभिषेक अग्रवाल को तीन साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया है.पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह डीजीपी को एक आईपीएस अफसर को बचाने के लिए जज बनकर फोन करता था.
गिरफ्तार नटवर लाल अभिषेक अग्रवाल के पास से नौ सिम कार्ड,दर्जनों मोबाईल फोन मिले हैं. मोबाइल की जब फॉरेंसिक जांच की गई तो आरोप प्रमाणित हो गये.सख्ती से पूछताछ में आरोपी अभिषेक अग्रवाल ने कबूल किया कि वो तत्कालीन एसएसपी आदित्य अग्रवाल को एक केस से बचाने के लिए डीजीपी को फोन किया करता था. जांच में यह बात सामने आई है कि यह पहले भी जेल जा चुका है.इससे पहले गृहमंत्री का पीएस बनकर अफसरों को फोन करता था.इस आरोप में दिल्ली पुलिस ने 2018 में गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया था. इसके पहले 2014 में बिहार के एक पुलिस अधीक्षक को भी ब्लैकमेल किया था. उनके पिता से मोटी रकम की वसूली की थी. जालसाज अभिषेक अग्रवाल पर भागलपुर में केस भी दर्ज हुआ था. इसके अलावा एक अन्य आईपीएस अफसर से भी 2 लाख की ठगी कर चुका है.
जानकारी के अनुसार जांच में यह बात सामने आई है कि यह फ्रॉड हाईकोर्ट के एक सीनियर जज के साथ ली गई तस्वीर अपनी व्हाट्सएप डिपी में लगाकर रखता था. साथ ही फेसबुक पर बड़े नेता,अफसरों के साथ तस्वीर लगाता था. हैरानी की बात ये है कि जिस आईपीएस अफसर को बचाने के लिए यह नटवरलाल फोन करता था उसे क्लीनचिट मिल गई है. आईपीएस आदित्य अग्रवाल के खिलाफ शराब के एक मामले में थाने में केस दर्ज हुआ था लेकिन हाल ही में आरोपी आईपीएस अफसर को उस केस में क्लीनचिट दे दिया गया . आर्थिक अपराध इकाई ने आरोपी के खिलाफ,धोखाधड़ी,फर्जी नाम से फोन करने व साईबर केस में जेल भेजा है साथ ही पूछताछ में जो बातें निकल कर सामने आई है,उस आधार पर आईपीएस आदित्य अग्रवाल के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है जिसको बचाने के लिए नटवरलाल ने तमाम चालें चलीं.
इस पूरे मामले मे एक बात गौर करने वाली बात ये है कि आईपीएस आदित्य अग्रवाल के खिलाफ चल रहे मामले में उसे बिना जांच के क्लीन चिट दे दी गई. मतलब ये कि नटवरलाल अभिषेक अग्रवाल ने बिहार के डीजीपी को हाइकोर्ट का जज बन कर फोन किया और डीजीपी ने उसकी बात मान कर आईपीएस को क्लीन चिट भी दे दी, डीजीपी ने फोन कॉल करने वाले के बारे में कुछ जानने की कोशिश तक नहीं की.
इस घटना ने उस पूरी व्यवस्था की पोल खोल दी है जिसमें जान पहचान हो तो किसी भी अपराध में क्लीन चिट मिलना मुश्किल नहीं है. साधारण लोगों को छोटे छोटे अपराध से अपना बचाव करने में सालों लग जाते हैं, वहीं इन जैसे केसेस में डीजीपी तक ने जांच पूरी करने की जहमत नहीं उठाई. इस एक नटवर लाल अभिषेक अग्रवाल की गिरफ्तारी ने पूरी व्यवस्था को पोल खोल कर रख दी है.