Friday, December 27, 2024

नहीं रहे हिंदुस्तान में आर्थिक सुधारों के प्रणेता डॉ.मनमोहन सिंह,92 साल की उम्र में हुआ  निधन

Dr.Manmohan Singh passed away : देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने दिल्ली के एम्स में गुरुवार की शाम आखिरी सांस लिया.  गुरुवार शाम अचानक घर में ही  उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई और अचेत होकर गिर पड़े. उन्हें तत्काल दिल्ली के एम्स अस्पताल ले जाया गया . गुरुवार शाम 8 बजकर 6 मिनट पर उन्हें एम्स लाया गया ,जहां उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया लेकिन थोड़ी देर बाद ही 9 बजकर 51 मिनट पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. डॉक्टर सिंह पिछले काफी समय से हार्ट के साथ साथ उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे.

Former PM Dr.Manmohan Singh passed away

Former PM Dr.Manmohan Singh passed away

Dr.Manmohan Singh : लंग्स में इंफेक्शन बनी मौत का कारण 

डा. सिंह को दिल की बीमारी थी और 2006 में दूसरी बार बायपास सर्जरी हुई थी. जिसके बाद से अक्सर वो बीमार रहते थे. गुरुवार को  भी जब उन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई औऱ घर में ही बेहोश हो गये. तब उन्हें तत्काल दिल्ली के एम्स अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उनके फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया है. तत्काल इलाज शुरु किया गया लेकिन डाक्टर्स उन्हें बचा ना सके. एम्स के डाक्टर्स ने उनके निधन को लेकर ये बयान जारी किया .

भारत की अर्थव्यवस्था में डॉ.मनमोहन सिंह का योगदान

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों का प्रणेता कहा जाता है. 1991 में जब डा. मनमोहन सिंह देश के वित्त मंत्री थे, तब उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए. आज अगर भारत को विश्व की पांचवी आर्थिक महाशक्ति के तौर पर जाना जा रहा है तो इसके पीछे पूर्व वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री रहे डॉ.मनमोहन सिंह का बड़ा योगदान है.

1991 में जब भारत की अर्थ व्यवस्था गोते लगा रही थी, देश को बदहाली से बचाने के लिए अपना सारा सोना गिरबी रखना पड़ा था, भारत आर्थिक रुप से लगभग बर्बादी की कगार पर था, तब डॉ. मनमोहन सिंह ही थे जो पीवी नरसिम्हा सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए नई आर्थिक नीति लेकर आये. उदारीकरण से लेकर बड़े आर्थिक सुधार किया जिसने भारत की तरक्की को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया. अर्थ व्यवस्था धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगी.उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कर व्यवस्था में बदलाव किया. मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों के साथ-साथ श्रम बाजार, सरकारी बजट, राष्ट्रीय स्वामित्व और अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप के कई अन्य क्षेत्रों को शामिल किया गया.

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