हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. साल में आने वाले कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में कुल 24 प्रदोष व्रत का आगमन मानव कल्याण के लिए होता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-पाठ, आराधना, स्तोत्र आदि का पाठ करने पर साधकों को कई चमत्कारी लाभ मिलते हैं. शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन यदि श्रद्धा और भक्तिभाव से पवित्र मन और हृदय से भोलेनाथ के रुद्राष्टक, पशुपत्येष्टक, शिव महिम्न, शिव तांडव आदि स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो हजारों गुना लाभ प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में ही भगवान शिव की आराधना करने का विधान होता है लेकिन भगवान शिव के कुछ स्तोत्र ऐसे भी हैं, जिनका ब्रह्म मुहूर्त, दोपहर और प्रदोष काल के समय पाठ करने पर कई गुना लाभ मिलता है.
प्रदोष व्रत के दिन स्तोत्र का पाठ करने की ज्यादा जानकारी देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री लोकल 18 को बताते हैं कि प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि में करने का विधान होता है. इस दिन भगवान शिव की आराधना करने पर संपूर्ण लाभ प्राप्त होता है. प्रदोष व्रत के दिन हजारों गुना लाभ प्राप्त करने के लिए चारों वेदों के ज्ञाता राजा रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्तोत्र का पाठ प्रदोष व्रत के दिन करने पर सबसे अधिक लाभ की प्राप्ति होती है. इस साल ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 24 मई को विधि विधान से करने और तीन समय शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने पर विद्या, धन, बल, ज्ञान आदि सुखों की प्राप्ति मिलने की धार्मिक मान्यता है.
‘ॐ नमः शिवाय’ का मन ही मन करें जाप
वह आगे बताते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक नित्यकर्म व स्नान आदि के बाद शिवलिंग का गंगाजल, दूध, शहद, दही, तिल आदि से अभिषेक और पूजा-पाठ करने पर व्रत का संकल्प करें. पूरे दिन व्रत रखकर भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का मन ही मन जाप करते रहें. इस दिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में करें. इसके बाद दोपहर और प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद वाले समय में भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने पर विद्या, धन, बल, ज्ञान, आरोग्यता आदि सभी की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता है.