बुधवार का दिन भगवान गणेश और ग्रहों के राजकुमार बुध ग्रह को समर्पित माना जाता है. इस दिन व्रत रखकर प्रथम पूज्य गणेशजी की पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. यह व्रत विशेषतः बुद्धि, वाणी, व्यवसाय, संतान सुख, और त्वचा संबंधी रोगों के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है. शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, बुधवार को गणपति की उपासना करने से जीवन की जटिलताएं सरल होती हैं. पुराणों में बताया गया है कि भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से बुध समेत सभी ग्रहों के दोष दूर होते हैं. आइए जानते हैं बुधवार व्रत के फायदे और पूजा विधि…
2 जुलाई को शुभ योग
दृक पंचांगानुसार, 2 जुलाई को सप्तमी तिथि सुबह 11 बजकर 58 मिनट तक रहेगी, फिर उसके बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी. उदिया तिथि को मानते हुए इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय 12 बजकर 25 मिनट से शुरू होकर 02 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. 2 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा और मिथुन राशि में सूर्य और गुरु की युति से गुरु आदित्य योग भी बना रहेगा.
बुधवार व्रत का महत्व
बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न व बाधाएं दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. साथ ही कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति भी मजबूत रहती है, जिससे नौकरी व कारोबार में अच्छी सफलता भी मिलती है. स्कंद पुराण के अनुसार बुधवार को भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
बुधवार व्रत पूजा विधि व मंत्र
बुधवार का व्रत करने से बुध ग्रह से संबंधित दोष भी दूर होते हैं. व्रत शुरू करने के लिए आप सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, फिर मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें. एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) की ओर मुख करके आसन पर बैठें. इसके बाद श्री गणेश को दूर्वा और पीले पुष्प अर्पित करें, साथ ही बुध देव को हरे रंग के वस्त्र चढ़ाएं. पूजा के दौरान श्री गणेश और बुध देव के “ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ. निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥” मंत्रों का जाप करें. फिर व्रत कथा सुनें और उनकी पूजा करें. अंत में, श्री गणेश को हलवे का भोग लगाएं और फिर श्री गणेश व बुध देव की आरती करें. उसके बाद आरती का आचमन करें.
बुधवार को इन चीजों से रहें दूर
पूजा समाप्त होने पर भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांट दें. शाम के समय फलाहार से व्रत का पारण करें. पूजा अर्चना करने के बाद यथासंभव गरीबों को दान अवश्य करें. इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना और तेल मालिश करना वर्जित माना गया है. व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है.
श्री गणेश जी आरती (Jai Ganesh Jai Ganesh Jai Aarti )
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥