मेहसी, पूर्वी चंपारण: बिहार में जनसुराज यात्रा निकाल रहे प्रशांत किशोर ने यात्रा के 88 वें दिन बिहार की सड़कों और शिक्षा पर बात की. प्रशांत किशोर ने अपनी यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि जहां-जहां उन्होंने यात्रा की है, लोगों से मिले हैं , वहां -कहीं भी उन्हें लोगों के अंदर सरकार को लेकर कोई उम्मीद दिखाई नहीं दी. प्रशांत किशोर लगातार अपनी यात्रा के दौरान नीतीश सरकार के काम काज पर सवाल उठा रहे हैं.
ध्वस्त शिक्षा व्यवस्था के कारण दो पीढ़ियां रह गई अनपढ़
प्रशांत किशोर ने जन सुराज पदयात्रा के दौरान बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था पर बात करते हुए कहा कि बिहार में शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने की बड़ी वजह विद्यालयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर है.विद्यालयों के इंफ्रास्ट्रक्चर और शिक्षकों के बीच समायोजन नहीं है. जहां विद्यालय है, वहां शिक्षक नहीं. जहां शिक्षक हैं, वहां विद्यालय नहीं . जहां शिक्षक और विद्यालय हैं, वहां बच्चे नहीं. तीनों बिंदुओं का CO-ORDINATION न होना ही बिहार की शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाने का बड़ा कारण है. इसके साथ ही मौजूदा सरकार की शिक्षा को लेकर उदासीन है.
आज बिहार की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाने के कारण ही यहां की दो पीढ़ियां अनपढ़ हो गई. इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार सरकार हर साल 40000 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद राज्य के बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मुहैया करवा पा रही है. शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाने का सीधा असर बिहार के गरीबों पर पड़ा है क्योंकि अच्छी शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे गरीब अपनी दयनीय स्थिति से बाहर निकल सकते हैं.
ग्रामीण सड़कों की स्थिति लालू जी के जंगलराज से भी बदहाल
प्रशांत किशोर ने मीडिया को संबोधित करते हुए पदयात्रा का अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कों का हाल भी लालू राज जैसा ही है, जैसे ही आप स्टेट और नेशनल हाईवे छोड़ कर ग्रामीण सड़कों पर आएंगे, आपको पता लगेगा कि ग्रामीण सड़कों की स्थिति कितनी बदहाल है.
इसके साथ ही प्रशांत ने कहा कि यहां तक गलियों और नालियों की स्थिति ऐसी है कि जमीन पर दिखाई नहीं पड़ती. यह स्थिति भी तब है जब सात निश्चय योजना में नाली और गलियों के पक्कीकरण का प्रमुखता से वायदा था.
प्रशांत किशोर पिछले लगभग 3 महीने से लगातार बिहार के ग्रामीण इलाकों में यात्रा कर रहे हैं. लगातार सरकार के काम काज पर सवाल उठाते हुए नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. प्रशांत किशोर लगतार उन सवालों को उठा रहे हैं जिससे बिहार की जनता रोजाना दो चार हो रही है. कई राज्यों में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर इन मुद्दों के सहारे अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं.
नीतीश कुमार 5 जनवरी से निकालेंगे समाज सुधार यात्रा
प्रशांत भूषण की इस यात्रा के महत्व को राजनीतिक तौर पर सत्तारुढ़ पार्टी नकारती रही है.नीतीश कुमार बार-बार ये कह रहे हैं कि उन्हें इन चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन हाल ही में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से नये साल में 5 जनवरी से समाज सुधार यात्रा शुरु करने की बात की है. अब इसे प्रशांत भूषण इफेक्ट कहें या राजनीतिक दांव पेंच, नीतीश कुमार खुद जनता के बीच जाकर उनकी राय लेने के लिए निकल रहे हैं, ताकि हाल के दिनों में सरकार की छवि को लेकर जो डैमेज हुआ है उसकी भरपाई हो सके.