Sunday, December 22, 2024

E kuber Portal: केंद्रीय योजनाओं के लिए पैसा ट्रांसफर करने का नया सिस्टम जनवरी से होगा लागू

E kuber Portal: केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए दिल्ली से आने वाले पैसों का इस्तेमाल अब ठीक तरह से होगा. पैसा दूसरे कामों में ना इस्तेमाल हो और ना ही पैसा सिर्फ बैंक में ही पड़ा रहे, इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों को केंद्र मद से दिए जाने वाले पैसा का तरीका बदलने जा रही है.

E kuber Portal एक क्लिक में देगा पैसे

जनवरी से भारतीय रिजर्व बैंक के ई कुबेर पोर्टल पर स्पर्श नाम की तकनीक से एक क्लिक से पैसा राज्य सरकार के खातों में पहुंच जाएगा. इस योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 6 मंत्रालयों की योजनाओं का पैसा नए सिस्टम से भेजा जाएगा. आगे दूसरे मंत्रालयों की भी योजनाओं का आवंटन इसी तरीके से होगा. नए सिस्टम को चालू करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. इसके लिए दिल्ली से एक टीम पटना आई थी और संबंधित अधिकारियों के साथ एक ट्रेंनिंग वर्कशॉप भी किया.

फिलहाल केंद्र प्रायोजित योजनाओं का पैसा राज्य सरकार के सिंगल नोडल खाते में आता है. जिसमें राज्य सरकार भी अपना हिस्सा डालती है और फिर काम होता है. लेकिन अब ये पैसा आरबीआई के ज़रिए आएगा. इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार की समेकित वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को केंद्र सरकार के लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली से जोड़ने का काम 1 महीने में पूरा हो जाएगा. अधिकारी को उम्मीद है कि जनवरी से नए सिस्टम से राज्यों को पैसा मिलेगा.

इन 6 मंत्रालय को जोड़ा जायेगा

नई तरीके से जनवरी में 6 मंत्रालय ही जोड़े जाएंगे. जिनमें शिक्षा ,ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, पशुपालन व मत्स्य पालन, समाज कल्याण और वन पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन विभाग शामिल होंगे. अधिकारियों के मुताबिक स्पर्श सिस्टम के तहत राज्य सरकार के विभागों को पहले केंद्र की योजनाओं में केंद्रीय अंशदान के लिए डिमांड भेजना होगा. इसके बाद केंद्र सरकार केंद्र पर आयोजित योजना में अपना हिस्सा आरबीआई के जरिए भेजेगी. इस सिस्टम में हर केंद्र प्रायोजित योजना के लिए अलग खाता होगा. जिसमें केंद्र और राज्य दोनों को अपना-अपना हिस्सा देना होगा. इस सिस्टम में केंद्र और राज्य दोनों के अधिकारियों को 24 घंटे यह दिखेगा की किस टीम में किसने कितना पैसा दिया है और उसे सही से खर्च किया जा रहा है या नहीं.

नए सिस्टम के जरिए अब ये जानना आसान होगा कि केंद्र का पैसा कब आया और किस मद में आया. साथ ही इससे राज्य सरकारों पर भी दबाव बनेगा की वह अपने हिस्से का पैसा समय पर जमा करें और योजनाओं को पूरा करें.

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