दुमका : लोकसभा चुनाव 2014 (24 अप्रैल 2014) के दौरान जिले के शिकारीपाड़ा के सरसाजोल के असना गांव के पास एक पुल के नीचे लैंडमाइंस विस्फोट कर चुनाव कराके लौट रहे पोलिंग पार्टी को बस को उड़ा देने और फिर अंधाधुंध फायरिंग कर 5 पुलिसकर्मियों सहित आठ मतदानकर्मियों की हत्या के मामले में जेल में बंद हार्डकोर नक्सली सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर दा सहित 5 नक्सलियों को दुमका की अदालत ने रिहा करने का फैसला सुनाया है . दुमका के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रथम रमेश चंद्रा की अदालत ने ये फैसला सुनाया है. हार्डकोर नक्सली प्रवीर दा फिलहाल रांची के होटवार जेल में बंद है जबकि तीन अन्य अभियुक्त बुद्धनाथ मुर्मू, ताला कुड़ी मुर्मू और बाबूराम बास्की दुमका केंद्रीय कारागार में बंद है. वहीं एक अन्य आरोपी सोम मुर्मू फिलहाल जमानत पर है. जेल में बंद अभियुक्तों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया और सुनवाई के बाद अदालत ने रिहा करने का फैसला सुनाया.
हत्या के मामले में 8 साल की जेल के बाद रिहाई
बचाव पक्ष के वकील राजा खान ने कहा कि सेशन केस ट्रायल संख्या 130/14 मामले में करीब आठ सालों तक चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. पूरी सुनवाई के दौरान 28 गवाह पेश किए गए. मामले में अभियोजन पक्ष इस केस को संदेह से परे साबित नहीं कर पाया. गवाहों के बयान में भी भिन्नता पायी गयी जिसकी वजह से अदालत ने ये फैसला सुनाया. नक्सली सुखलाल मुर्मू को पहले दुमका की एक अदालत ने एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड मामले में फांसी की सजा और मसलिया थाना क्षेत्र के छैलापाथर में एक शख्स की हत्या के मामले में उम्रकैद की सुनाया है. बाकी केस में सुनवाई चल रही है.
पाकुड़ की सिस्टर वालसा हत्याकांड और एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या का आरोप
गौरतलब है कि झारखण्ड के चर्चित पाकुड़ ज़िले की सिस्टर वालसा हत्याकांड एवं पाकुड़ ज़िले के ही एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड और लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान दुमका में लैण्डमाइंस विस्फोट कर आठ लोगों की हत्या समेत 27 नक्सली वारदातों में शामिल खूंखार और पूर्वी बिहार पूर्वोतर झारखण्ड के स्पेशल एरिया कमेटी का सदस्य रहे हार्डकोर नक्सली सुखलाल मुर्मू उर्फ प्रवीर दा को वर्ष 2014 में 26-27 सितम्बर की रात्रि ज़िले के रामगढ़ थाना क्षेत्र के हड़वाडंगाल में गिरफ्तार किया गया था. गुप्त सूचना के आधार पर दुमका के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अनूप टी मैथ्यू के नेतृत्व में पुलिस ने प्रवीर को गिरफ्तार किया था.
झारखंड और बिहार में खौफ का दूसरा नाम प्रवीर दा
झारखण्ड के संताल परगना के छह जिलों समेत कोडरमा, गिरीडीह और बिहार के जमुई व भागलपुर में सक्रिय और आतंक व खौफ बन चुके प्रवीर दा उर्फ प्रवील दा उर्फ हिरेन्द्र मुर्मू उर्फ हिरेन्द्र दा उर्फ अमृत उर्फ सोनोत दा उर्फ मारंग दा की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. प्रवीर दा उर्फ प्रवील दा दुमका जिले के 22, पाकुड़ जिले के पांच एवं गिरीडीह के अन्य नक्सली कांडों में वांछित था. उसकी गिरफ्तारी के बाद संताल परगना में नक्सलियों की पैठ कमजोर करने में पुलिस सफल रही.
किन किन बड़ी घटनाओं में शामिल है प्रवीर
प्रवीर दा उर्फ प्रवील दा दुमका जिले के 22, पाकुड़ जिले के पांच एवं गिरीडीह के अन्य नक्सली कांडों में वांछित था. जिन कांडों में उसने अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी उसमें
वर्ष 2008 में शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत पोखरिया में पुलिस के साथ मुठभेड़ जिसमें तत्कालीन थाना प्रभारी अनि शमशाद अंसारी समेत अन्य पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे.
वर्ष 2009 में विधानसभा चुनाव के दौरान काठीकुण्ड में पुलिस पार्टी पर हमला कर एक चैकीदार की हत्या कर एक इंसास रायफल की लूट,
चुनाव के दौरान ही शिकारीपाड़ा में आरओपी में लगे दो बीएसएफ जवानों की हत्या कर हथियार लूटने
वर्ष 2010 में काठीकुण्ड थाना अंतर्गत तालपहाड़ी जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में जामा थाना प्रभारी अनि सतानंद सिंह की हत्या ,
वर्ष 2013 में काठीकुण्ड थाना क्षेत्र के अमतल्ला के पास पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक अमरजीत बलिहार के काफिल पर हमला कर एसपी बलिहार समेत पांच पुलिसकर्मियों की हत्या कर हथियार लूट
वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के सरसाजोल में लैण्ड माईंस विस्फोट कर एवं अंधाधुंध फायरिंग कर पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला कर आठ मतदानकर्मियों की हत्या एवं पुलिस जवानों का हथियार लूटने आदि मामलों में प्रवीर दा की पुलिस को शिद्दत से तलाश थी.