नई दिल्ली। गनीमत रही कि ये हादस नमाज के वक्त नहीं हुआ। नहीं तो न जाने कितने लोगों की जान चली जाती। ये बात उन स्थानीय लोगों ने कही जिन्होंने हुमायूं के मकबरे के पास एक दरगाह के दो कमरों की छत और दीवार गिरने की घटना को देखा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा अगर नमाज के कुछ घंटे पहले हुए होता तो कई और लोगों की जान जा सकती थी। शुक्रवार को निजामुद्दीन क्षेत्र स्थित हुमायूं के मकबरे के पास एक दरगाह के दो कमरों की दीवार और छत गिरने से छह लोगों की मौत हो गई जबकि पांच अन्य घायल हो गए थे।
यह घटना 15 अगस्त की दोपहर करीब 3.30 बजे हुई और स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर यह दोपहर की नमाज के आसपास हुई होती, जब इलाके में बड़ी भीड़ जमा होती है, तो मृतकों की संख्या ज़्यादा होती। प्रसिद्ध दरगाह शरीफ पत्ते वाली में सिर्फ शहर के ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के लोग आते हैं। मकबरे के बाहर भेलपुरी बेचने वाले राकेश ने बताया, अगर यह नमाज के समय हुआ होता तो यह और भी बड़ी त्रासदी होती। यह दरगाह हुमायूं के मकबरे की पिछली गली में, सुंदर नर्सरी की ओर जाने वाले रास्ते पर, न्यू होराइजन स्कूल के बगल में स्थित है। अब इसमें ताला लगा है और वीरान पड़ा है।
सुंदर नर्सरी में ड्यूटी पर तैनात एक गार्ड ने बताया, हमें तब तक पता नहीं चला कि क्या हुआ जब तक हमने एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ियों को अंदर आते नहीं देखा। बाहर आ रहे लोगों ने हमें बताया कि एक छत, जहां कुछ लोग बारिश में शरण लिए हुए थे, गिर गई है। दरगाह की चारदीवारी 16वीं सदी के उस बगीचे वाले मकबरे से मिलती है जिसे मुगल बादशाह हुमायूं की पहली पत्नी बेगा बेगम ने 1558 में बनवाया था।
- Advertisement -
Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

