नई दिल्ली । कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरटीआई कानून को कमजोर करने और पारदर्शिता खत्म करने का आरोप लगाया है। पार्टी ने कानून की स्वतंत्रता बहाल करने और जनता के जानकारी पाने के अधिकार की रक्षा की मांग की। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश कांग्रेस कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने आरटीआई कानून को लेकर बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि डॉ। मनमोहन सिंह के नेतृत्व और सोनिया गांधी के मार्गदर्शन में बना ऐतिहासिक सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून आज अपने 20वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है, लेकिन बीजेपी सरकार इस कानून की आत्मा को लगातार कमजोर कर रही है। भारद्वाज ने कहा कि आरटीआई सिर्फ एक कानून नहीं, बल्कि यह भारतीय नागरिकों के संवैधानिक और सामाजिक सशक्तिकरण का प्रतीक है। अनिल भारद्वाज ने कहा कि 2014 के बाद से मोदी सरकार आरटीआई एक्ट की पारदर्शिता को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। बीजेपी ने 2019 में कई संशोधन कर इस कानून की स्वतंत्रता को कम किया। पहले जहां सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 वर्ष तय था, वहीं अब केंद्र सरकार ने यह अधिकार अपने पास रख लिया है। इससे आयोगों की स्वायत्तता पर सीधा हमला हुआ है और कार्यपालिका पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि 2023 में लागू डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट ने आरटीआई की धाराओं को प्रभावित किया है। अब व्यक्तिगत जानकारी के नाम पर सरकार कई सार्वजनिक सूचनाओं, जैसे मतदाता सूची, सरकारी खर्च या जनहित से जुड़े विवरण को साझा करने से बच रही है। यह संशोधन जनता के जानने के अधिकार पर गहरा प्रहार है।