Friday, October 31, 2025

सहकार टैक्सी प्रोजेक्ट के टेंडर में घोटाले के आरोप

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नई दिल्ली, 1 सितंबर: सहकार टैक्सी परियोजना Sahkar Taxi Project के तहत एक उच्च-मूल्य के टेक्नोलॉजी टेंडर के आवंटन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। हितधारकों का आरोप है कि बोली प्रक्रिया में अनियमितता और भ्रष्टाचार के संकेत मिल रहे हैं.

Sahkar Taxi Project का टेंडर NCDC ने निकाला था

हाल ही में समाप्त हुये संसद के मॉनसून सत्र में गृह मंत्री अमित शाह ने सहकार टैक्सी प्रोजेक्ट Sahkar Taxi Project की घोषणा की थी. इसका मतलब ये है कि ओला, ऊबर जैसी निजी टैक्सी एग्रीगेटर कंपनी की तरह ही एक सरकारी टैक्सी एग्रीगेटर कंपनी की घोषणा हुई थी. इसके बाद राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) ने इसके लिये “ऑनलाइन कैब एग्रीगेशन सॉल्यूशन के डिज़ाइन, डेवलपमेंट, इम्प्लीमेंटेशन और ऑपरेशंस हेतु टेक्नोलॉजी पार्टनर का ऑनबोर्डिंग” के लिए टेंडर जारी किया था. ये टेंडर क्वालिटी एंड कॉस्ट बेस्ड सेलेक्शन (QCBS) पद्धति के तहत था.

NCDC Tender
NCDC Tender

इस टेंडर में कई कंपनियों ने हिस्सा लिया और काम को पाने के लिए बोली लगाई थी. प्रक्रिया पूरी होने के बाद जो परिणाम आये उसमें से टॉप थ्री बोलीदाता के जो डिटेल्स सामने आये वो चौंकाने वाले थे.

सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को मिला Sahkar Taxi Project

H1 बोलीदाता ने ऐप बनाने के लिए ₹167 करोड़ की बोली लगाई जबकि H2 बोलीदाता ने ₹284 करोड़ और H3 बोलीदाता ने उसी काम को करने के लिये ₹990 करोड़ की बोली लगाई. जाहिर तौर पर H1 बिडर ने सबसे कम कीमत लगाई थी इसलिए उसे काम मिलना चाहिये था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से पर्चेज ऑर्डर (PO) H3 बोलीदाता को दिया गया जिसने 990 करोड़ की बोली लगाई थी जो H1 बिडर से तकरीबन छह गुना ज्यादा है.

दाल में कुछ तो काला है

इस काम से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कदम QCBS की भावना और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) के दिशा-निर्देशों के तहत निविदा मानदंडों का खुला उल्लंघन है। “यह किसी घोटाले से कम नहीं है. जब H1 की बोली पहले से ही सबसे कम है, तो निविदा प्राधिकरण किस आधार पर उसे दरकिनार कर H3 को चुन सकता है? बिडिंग का मतलब ही ये है कि सबसे कम बोली लगाने वाले को चुना जाता है .  ऊँची बोली लगाने वाले को काम देने का मतलब है कि दाल में कुछ काला है और ये भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है.”

Sahkari Taxi Project
Sahkari Taxi Project

Sahkar Taxi Project टेंडर प्रक्रिया की होगी जांच?

जाहिर तौर पर इससे न केवल सरकार को राजकोषीय नुकसान होगा, बल्कि सहकारी महकमों द्वारा किये जाने वाले काम में जनता का भरोसा भी घटेगा. यदि इस पर रोक नहीं लगी तो सहकार टैक्सी का मामला एक ऐसा खतरनाक उदाहरण बन जाएगा जहाँ प्रक्रियाओं की आड़ में निविदाएँ कुछ खास बोलीदाताओं के हिसाब से बनाई जाती रहेंगी. ऐसी घटनाओं से सहकारिता को सशक्त बनाने के नाम पर टेंडर में ऐसी घोटालेबाजी होती रहेगी. इसलिये अगर स्टेक होल्डर्स घोटाले की बात कर रहे हैं तो इस पूरे टेंडर प्रक्रिया की जांच होनी चाहिए और अधिकारियों की जिम्मेवारी तय होनी चाहिए.

Sahkar Taxi Project
Sahkar Taxi Project

 

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