गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘मोदी उपनाम’ मानहानि मामले में कोई अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया.
अब फैसला गुजरात उच्च न्यायालय की छुट्टी के बाद आएगा.
इसके साथ ही न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है.
गुजरात उच्च न्यायालय कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उनकी “मोदी उपनाम” टिप्पणी पर एक आपराधिक मानहानि के मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी, जिसमें उन्हें सूरत की एक अदालत ने दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें सूरत की एक अदालत ने 23 मार्च को गांधी को भारतीय जनता पार्टी के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर मामले में आपराधिक मानहानि के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.
विधायक मोदी ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान की गई उनकी टिप्पणी “सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे हो सकता है?” को लेकर गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.
3 अप्रैल को, गांधी के वकील ने दो आवेदनों के साथ सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, एक जमानत के लिए और दूसरा उनकी अपील पर लंबित दोषसिद्धि पर रोक के लिए, सत्र अदालत ने गांधी को जमानत तो दे दी, उसने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी. जिसके बाद राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था.
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