Debate on Constitution in RS: संसद के शीतकालीन सत्र का अंतिम सप्ताह सोमवार को शुरू हुआ है. आज से राज्यसभा में संविधान के 75 साल पूरे होने पर दो दिवसीय बहस शुरू हुई. लोकसभा में शुक्रवार और शनिवार को संविधान पर बहस हुई. संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ और शुक्रवार को समाप्त होगा.
संविधान अपनाने के एक साल के भीतर ही ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा था’
राज्य सभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संविधान पर बहस शुरू की. सीतारमण ने कहा कि भारत की अंतरिम सरकार ने संविधान अपनाने के एक साल के भीतर ही ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका ‘क्रॉस रोड्स’ और आरएसएस की संगठनात्मक पत्रिका ‘ऑर्गनाइज़र’ के पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन इसके जवाब में, (तत्कालीन) अंतरिम सरकार ने सोचा कि पहले संविधान संशोधन की आवश्यकता थी और इसे कांग्रेस द्वारा लाया गया था और यह अनिवार्य रूप से स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए था. इसलिए भारत, एक लोकतांत्रिक देश जो आज भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गर्व करता है, ने पहली अंतरिम सरकार को संविधान संशोधन के साथ आते देखा, जिसका उद्देश्य भारतीयों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना था और वह भी संविधान अपनाने के एक साल के भीतर.”
सीतारमण ने कहा, “कांग्रेस ने किताबों और फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया…”
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, “1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई राजनीतिक जीवनी ‘नेहरू’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. उन्होंने ‘किस्सा कुर्सी का’ नामक फिल्म पर भी प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे (संजय गांधी) पर सवाल उठाए गए थे,” सीतारमण ने कहा.
मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी को जेल भेजा गया- सीतारमण
निर्मला सीतारमण ने कहा, “मजरूह सुल्तानपुरी (कवि) और बलराज साहनी (अभिनेता) दोनों को 1949 में जेल भेजा गया. 1949 में मिल मजदूरों के लिए आयोजित एक बैठक के दौरान, मजरूह सुल्तानपुरी ने जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ लिखी गई एक कविता सुनाई और इसलिए उन्हें जेल जाना पड़ा. उन्होंने इसके लिए माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया और उन्हें जेल भेज दिया गया.”
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