दिल्ली के पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को अभी एक हफ्ते और जेल में रहना होगा. सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामला समेत कई दूसरे मामलों में जमानत के लिए डाली गई मनीष सिसोदिया की अर्जी पर सुनवाई अलगे गुरुवार यानी 12 अक्तूबर तक के लिए टल गई है.
कोर्ट ने सिसोदिया के खिलाफ जांच एजेंसी से मांगे सबूत
गुरुवार यानी 5 अक्तूबर को जारी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जांच एजेंसी को सुप्रीम कोर्ट के काफी मुश्किल सवालों का सामना करना पड़ा. कोर्ट ने जांच एजेंसी से कहा कि मनीष सिसौदिया की रिश्वतखोरी के सबूत के बिना कोई अपराध नहीं बनता है.
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ दबाव बनाने का आरोप काफी नहीं है. कोर्ट ने कहा, “आपको एक शृंखला स्थापित करनी होगी. पैसा शराब लॉबी से व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए. हम आपसे सहमत हैं कि श्रृंखला स्थापित करना कठिन है क्योंकि सब कुछ गुप्त रूप से किया जाता है. लेकिन यहीं आपकी योग्यता आती है. मनीष सिसौदिया इस सब में शामिल नहीं हैं. विजय नायर तो हैं लेकिन मनीष सिसौदिया इस हिस्से में नहीं हैं. आप उसे मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कैसे लाएंगे?”
कोर्ट ने साफ किया आप को आरोपी बनाने वाली टिप्पणी का मतलब
वहीं बुधवार को की गई आप पार्टी को मामले में आरोपी बनाने को लेकर की गई अपनी एक टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने सफाई भी पेश की. गुरुवार को सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि मीडिया में चल रहा है कि अदालत ने आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाने के लिए कहा है. इसपर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि हम यह साफ करना चाहते हैं कि हमने कल सिर्फ एक कानूनी सवाल पूछा था. हमारा सवाल था कि A और B को आरोपी बनाया गया है और C को फायदा पहुंचा है, तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया.
दरअसल बुधवार को सिसोदिया की ज़मानत पर सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा, ”हमें इस मुद्दे पर स्पष्टता की जरूरत है कि जहां तक मनी लॉन्ड्रिंग अपराध का सवाल है, उन्हें (सिसोदिया) लाभार्थियों में से एक के रूप में नामित किया गया है. आपका पूरा मामला यह है कि इससे राजनीतिक दल को फायदा हुआ. लेकिन आपके आरोप राजनीतिक दल पर नहीं है. आप इसका उत्तर कैसे देंगे?”
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