भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू.ललित ने जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ को उनके उत्तराधिकारी के रूप में नामित कर दिया है. हाल ही में केंद्र सरकार ने मुख्य न्यायधीश से उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश मांगी थी. सीजेआई यूयू ललित ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों की उपस्थिति में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है.अब अगर सरकार मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश को मान लेती है तो जस्टिस चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश होंगे.सरकार की मंजूरी मिलने के बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ भारत के पहले दूसरी पीढ़ी के मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनके पिता न्यायमूर्ति वाई.वी. चंद्रचूड़ भारत के 16वें और सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं.
वर्तमान समय में सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ वरियता सूची में सबसे उपर हैं.न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 1998 से मार्च 2000 तक भारत सरकार में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पद पर रहे. न्यायमूर्ति डीवी चंद्रचूड़ ने अपने न्यायिक करियर की शुरुआत बतौर जज 29 मार्च 2000 को बांबे हाइकोर्ट से की थी. 31 अक्टूबर 2013 को इलाहाबाद हाई कोर्ट में बतौर जज नियुक्त किये गये. 13 मई 2016 को इलाहाबाद न्यायालय से सुप्रीम कोर्ट आये.
भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. का कार्यकाल 8 नवंबर को समाप्त हो रहा है, 27 अगस्त को मुख्य न्यायधीश के तौर पर पदभार ग्रहण करनेवाले जस्टिस ललित ने पांच संविधान पीठों का गठन किया. लंबित पड़े मामलों के जल्द निबटारे के लिए चीफ जस्टिस ललित ने सुप्रीम कोर्ट में कई प्रशासनिक बदलाव किये. कोर्ट के समय में परिवर्तन किया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा मामलों की सुनवाई तेज गति से हो सके. सितंबर के महीने में सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से पड़े मामलों और जनहित याचिकाओं के निबटारे के लिए अलग अलग समय निर्धारित किये.इसका परिणाम ये हुआ कि सितंबर के महीने में बैंकलॉग मे गिरावट देखी गई.
सुप्रीम कोर्ट में एक दिन मे करीब 60-70 मामले उठाये गये.एक केस की सुनवाई में जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ खुद रात 9.15 बजे तक बैठे रहे. वकीलों को अपने मामलों की तैयारी के लिए कोर्ट से समय मांगते देखा गया, क्योंकि उनके केस अचानक सूचिबद्ध हो गये.
44-45 दिन के कार्यकाल में जस्टिस यूयू ललित ने सुप्रीम कोर्ट में बैकलॉग कम करने के लिए कई नये प्रयास किये है.