नई दिल्ली : आज का दिन चंद्रयान-3 ( के लिए बेहद खास दिन है. चंद्रमा की जमीन पर 15 दिनों की लंबी नींद पूरी करने के बाद प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर दोनों को आज फिर जगाया जाएगा. कल यानी शुक्रवार से अगले पंद्रह दिनों तक सूर्य चंद्रमा पर जगमगाता रहेगा, इसलिए इसरो (ISRO) के वैज्ञानिकों ने रोवर और विक्रम लैंडर को जगाने की पूरी तैयारी कर ली है. इसरो के वैज्ञानिकों के मुताबिक गुरुवार और शुक्रवार को मॉड्यूल को रीबूट करने का प्रयास किया जाएगा, क्योंकि सूर्य की रोशनी में दोनों की बैटरी फुल चार्ज हैं इसलिए इसरो को उम्मीद है कि अगले 15 दिनों तक रोवर और विक्रम फिर चांद की नई और रहस्यमय जानकारियां देता रहेगा.
Chandrayaan3 के प्रज्ञान ने पहले 15 दिन में की कई बड़ी खोज
चंद्रमा की सतह पर उतरने और काम शुरु करने के बाद Chandrayaan3 के प्रज्ञान ने शुरु के 15 दिन में चांद की सतह पर सल्फर समेत कई तत्वों की खोज की . ऐसे में इस बार रोवर क्या खोज निकालता है इसपर हर किसी की नजर है.
इसरो के वैज्ञानिक गुरुवार और शुक्रवार को मॉड्यूल को ‘रीबूट’ करने का प्रयास करेंगे। इससे पहले से ही पूरी तरह से सफलतापूर्वक पूरा किए गए मिशन के अलावा विस्तार की संभावनाओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसरो टीम उम्मीद कर रही है कि शुक्रवार को शिवशक्ति पॉइंट पर सूरज उगेगा, जहां लैंडर और रोवर खड़े हैं। इस पर जानकारी देते हुए इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा, जैसे ही सूर्य उगेगा, उपकरण फिर से सक्रिय हो जाएंगे.
Chandrayaan3:प्रज्ञान को चंद्र उदय के समय किया जायेगा रीबूट
चांद पर प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को फिर से जगाने का प्रयास 21 और 22 सितंबर को चंद्र उदय के समय किया जाएगा. ISRO के अध्यक्ष एस सोमनाथ (ISRO Chairman S.Somnath) के मुताबिक, “हम केवल 22 सितंबर को उपकरणों को वापस जीवन में देखने की उम्मीद कर सकते हैं. दो दिनों का वक्त इसलिए रखा गया है ताकि एडवांस में तैयारी पूरी कर ली जाए .”
Chandrayaan3 :2 सितंबर को विक्रम लैंडर के अंदर भेजा गया था प्रज्ञान
जानकारी के लिए बता दें इसरो ISRO वैज्ञानिकों के मुताबिक चांद पर सूर्यास्त से पहले, विक्रम और प्रज्ञान पर लगे उपकरणों को चरणबद्ध तरीके से बंद किया गया था. यह प्रक्रिया 2 सितंबर को शुरू हुई थी. हालांकि, सोलर एनर्जी से होने वाली मॉड्यूल की बैटरियों को चार्ज करके छोड़ दिया गया था और सोलर पैनलों को इस तरह से रखा गया था कि उन्हें सुबह के समय रोशनी मिले.
चांद पर सूर्यास्त के बाद तापमान -200 डिग्री तक चला जाता है. इसलिए ऐसी स्थिति में रोवर और विक्रम के लिए चांद पर काम कर पाना बड़ी चुनौती थी. इतने कम तापमान पर मशीनों के खराब होने का खतरा था. इसलिए इसरो वैज्ञानिकों ने दोनों को निष्क्रिय करके 15 दिनों के लिए सुला (Sleeping Mode) में डाल दिया था.
Chandrayaan3 पर पूरी दुनिया की नजर
अब रोवर और विक्रम जगने वाले हैं, तो पूरी दुनिया की निगाहें एक बार फिर भारत के Chandrayaan3 पर टिकी हैं. चांद पर लैंडिग के बाद अपने 15 दिनों के चरण में रोवर ने सल्फर समेत कई महत्वपूर्ण तत्वों की खोज की थी. इसके अलावा चांद के दक्षिणी ध्रुव की रोचक और रहस्यमय तस्वीरें भी सामने रखीं,जिसे आज तक दुनिया ने नहीं देखा था. इसरो का कहना है कि अगर रोवर उम्मीदों के मुताबिक चलता है, तो कमांड रोवर में फीड होने के बाद रोवर चलना शुरू कर देगा. बाद में यही प्रक्रिया लैंडर मॉड्यूल पर भी दोहराई जाएगी.