J&K (Jammu and Kashmir) : जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल को मिलने वाले आधिकारों में संशोधन करके केंद्र ने एलजी के अधिकार बढ़ा दिये हैं. अब जम्मू कश्मीर में उपराज्यपाल की शक्तियों के दायरे को बढ़ा दिया गया है. शुक्रवार को केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल (LG) के कामकाज के नियमों में संशोधन किया गया है , ताकि अखिल भारतीय सेवाओं, सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस व्यवस्था आदि के मामलों में उपराज्यपाल को अधिक अधिकार दिए जा सकें. अब राज्य में व्यवस्था, पुलिस और अखिल भारतीय सेवाओं से संबधित सभी फैसलों पर अंतिम मंजूरी उप राज्यपाल से लेनी जरुरी होगी.
J&K (Jammu and Kashmir) में राज्यपाल को मिले दिल्ली जैसे अधिकार
जम्मू-कश्मीर में न्यायालय से अब कानून व्यवस्था से जुड़े महाधिवक्ता और अन्य विधि व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों की नियुक्तियों के लिए भी मुख्य सचिव के द्वारा उपराज्यपाल से मंजूरी लेना जरुरी होगा. यानी जम्मू कश्मीर में अब उपराज्यपाल के पास अधिक अधिकार होंगे और राज्य की तमाम व्यवस्था उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र के पास रहेगी.
किसी भी तरह के बड़े प्रशासनिक फैसलों के लिए उपराज्यपाल से मंजूरी लेनी जरुरी होगी. कुल मिलाकर जम्मू -कश्मीर में अब बिल्कुल दिल्ली की तरह व्यवस्था होगी, जहां चुनी हुई सरकार को भी अपने ज्यादातर फैसलों के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी जरुरी होगी.
केंद्र सरकार के इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उपराज्यपाल को निर्वाचित मुख्यमंत्री से अधिक अधिकार देने का केंद्र का कदम इस बात का संकेत है कि चुनाव जल्द ही होंगे. उन्होंने कहा कि इस कदम से एक और बात सामने आई है कि नई सरकार चुनने के बाद भी मुख्यमंत्री शक्तिहीन रहैंगे.
Another indicator that elections are around the corner in J&K. This is why a firm commitment laying out the timeline for restoration of full, undiluted statehood for J&K is a prerequisite for these elections. The people of J&K deserve better than powerless, rubber stamp CM who… https://t.co/THvouV1TxF
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 13, 2024
उमर अबुदल्ला ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “यह इस बात का एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं. यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है. जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टैंप सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी.”