Thursday, February 6, 2025

CAA Notification: CAA की अधिसूचना जारी करने में केंद्र सरकार को लगे 4 साल 3 महीने, कांग्रेस बोली-चुनावी बॉन्ड पर हेडलाइन मैनेज कर रही बीजेपी

सोमवार शाम केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की अधिसूचना CAA Notification जारी कर दी. इस अधिसूचना के साथ ही देश में सीएए आज (11 मार्च) से लागू हो गया है. वैसे तो मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही CAA को भारतीय संसद से पास करा लिया था. लेकिन इस कानून के नियमों को अधिसूचित करने में सरकार को 4 साल से ज्यादा का समय लग गया जिस कारण विपक्ष इसे चुनावी हथकंडा ही बता रहा है.

11 दिसंबर 2019 को पास हुआ था CAA कानून

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ही विपक्षी और नागरिक संगठनों के भारी विरोध के बावजूद 11 दिसंबर, 2019 को संसद में CAA कानून पारित कर लिया गया था . इस विधेयक के पक्ष में 125 वोट पड़े थे जबकि 105 वोट इसके विरोध में पड़े थे. राष्ट्रपति ने इस विधेयक को 12 दिसंबर 2019 को ही मंजूरी भी दे दी थी. हलांकि इस कानून को बनाने के लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के विभाग को पूरे 4 साल और तीन महीने लग गए.

डॉक्यूमेंट देखने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगी-ममता

वहीं सीएए नोटिफिकेशन जारी होने की खबर को लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बैनर्जी ने कहा कि, “हमें अभी तक अधिसूचना नहीं मिली है. कल सीएए के डॉक्यूमेंट देखने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगी. ये सिर्फ दिखावा है.”

हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है-कांग्रेस

वहीं कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने भी सीएए अधिसूचना जारी होने पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर पोस्ट लिखा है. जयराम रमेश ने इसे चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए और चुनावी बॉन्ड को लेकर पड़ी सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हेडलाइन मैनेज करने का तरीका बताया.
जयराम रमेश ने लिखा, “दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए. प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है. सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है. नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार एक्सटेंशन मांगने के बाद घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है. ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव को ध्रुवीकृत करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में. यह इलेक्टोरल बान्ड घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद हेडलाइन को मैनेज करने का प्रयास भी प्रतीत होता है.”

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