US shutdown : अमेरिका में शटडाउन का असर केवल वहीं तक सीमित नहीं रहता है बल्कि इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और बाजारों पर भी पड़ता है. सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के चलते अमेरिकी सरकार की अस्थिरता अंतरराष्ट्रीय निवेशकों, व्यापारिक साझेदारों और वैश्विक वित्तीय संस्थाओं को प्रभावित करती है. शटडाउन के दौरान डॉलर पर दबाव पड़ सकता है और विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है. अमेरिकी सरकारी बॉन्ड और अन्य निवेशों में अनिश्चितता निवेशकों को सतर्क बना देती है.
इसके अलावा, बंद होने वाली सरकारी सेवाओं के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार, निर्यात-आयात, कस्टम्स और रेगुलेटरी प्रक्रियाओं में देरी हो सकती है. शटडाउन के चलते वैश्विक आपूर्ति शृंखला और निवेश पर असर पड़ सकता है, साथ ही हजारों कर्मचारियों को बिना वेतन के ही काम करना पड़ सकता है और बड़ी संख्या में लोगों को अस्थायी छुट्टी पर भी भेजा जा सकता है. इसे ही सरकारी शटडाउन कहा जाता है.
US shutdown : बजट पास न होने पर सरकारी फंड रुकना ही शटडाउन
दरअसल अमेरिका में 1 अक्तूबर से नया वित्त वर्ष लागू होता है और सरकार को हर साल 30 सितंबर तक बजट पास कराना पड़ता है. अगर सीनेट बजट पर सहमत नहीं होती, तो खर्च बिल पास नहीं होता और सरकार को मिलने वाला पैसा रुक जाता है. इसके चलते कुछ सरकारी विभागों और सेवाओं को पैसे नहीं मिलते और गैर-जरूरी सेवाओं को बंद कर दिया जाता है.
7.50 लाख संघीय कर्मचारियों के छुट्टी पर भेजने का खतरा
शटडाउन की वजह से सरकार के कई गैर जरूरी कार्यक्रमों और सेवाओं के बंद होने का संकट उत्पन्न हो गया है. इतना ही नहीं, करीब 7.50 लाख संघीय कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा जा सकता है और कुछ कर्मचारियों को नौकरी से भी निकाला जा सकता है. हालांकि ट्रंप के महत्वाकांक्षी एजेंडे लोगों को देश से वापस भेजने के कार्यक्रम में और तेजी आ सकती है.
कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा असर
व्हाइट हाउस की पूर्व बजट अधिकारी रेचल स्नाइडरमैन ने कहा कि सरकार जिस तरह से पैसे खर्च करती है, वह हमारे देश की प्राथमिकताओं को दर्शाता है. शटडाउन से देशभर में सिर्फ आर्थिक नुकसान, डर और भ्रम पैदा होता है. आर्थिक संकट का असर पूरे देश में फैलने की आशंका है. कुछ ही दिनों में आर्थिक झटके महसूस हो सकते हैं.
गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषण के अनुसार, जहां पिछली बार सरकारी कामकाज बंद होने के दौरान वित्तीय बाजार आम तौर पर स्थिर रहे थे, इस बार स्थिति कुछ अलग हो सकती है, क्योंकि व्यापक स्तर की बातचीत के कोई संकेत नहीं हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि शटडाउन जितना लंबा चलेगा, उसका दुष्प्रभाव उतना ही ज्यादा होगा. शटडाउन लंबा चला तो बाजारों पर असर दिख सकता है, अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
पिछले 50 वर्षों में शटडाउन आम हुआ
अमेरिका में पिछले 50 वर्षों में शटडाउन आम बात हो गई है. खर्च बिल अटकने की वजह से 20 बार शटडाउन हो चुका है. ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान तीन बार ऐसा हुआ था. इनमें इतिहास का सबसे लंबा 35 दिनों का शटडाउन भी शामिल है, जो दिसंबर 2018 को लगा था और जनवरी 2019 में खत्म हुआ था.
आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरु
इस बीच रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है. डेमोक्रेट्स हेल्थ केयर सब्सिडी बढ़ाने की मांग कर रहे थे लेकिन रिपब्लिकन ने इन्कार कर दिया. रिपब्लिकन को डर था कि अगर सब्सिडी बढ़ाई गई तो सरकारी काम प्रभावित होंगे.