व्यापार: बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि की है। लोन आकार 2.54 लाख करोड़ हो गया है। 30 सितंबर, 2024 तक 2.17 लाख करोड़ लोन दिया था। जमा 2.76 लाख करोड़ से 12.1 प्रतिशत बढ़कर 3.09 लाख करोड़ हो गया।
सरकारी बैंकों की पूंजी निजी की तुलना में सितंबर में जमकर बढ़ी
वैश्विक अस्थिरता के बीच सरकारी बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है। जुलाई-सितंबर में सरकारी बैंकों के बाजार पूंजीकरण में इजाफा हुआ। दूसरी तरफ इसी दौरान निजी बैंकों की पूंजी में गिरावट दर्ज की गई। एसएंडपी ग्लोबल के मुताबिक, एचडीएफसी बैंक की पूंजी 4.8 फीसदी घट गई। आईसीआईसीआई बैंक की पूंजी मेें 6.7 प्रतिशत की गिरावट आई। अन्य निजी क्षेत्र के बैंकों जैसे कोटक महिंद्रा बैंक और एक्सिस बैंक की भी पूंजी में दूसरी तिमाही में गिरावट दर्ज की गई है। इंडसइंड बैंक का बाजार पूंजीकरण सबसे अधिक 15.7 प्रतिशत घट गया है। शीर्ष सात बैंकों ने शेयर बाजार में बाजार पूंजीकरण रैंकिंग बरकरार रखी है। एसबीआई का बाजार पूंजीकरण तिमाही में 10 प्रतिशत बढ़ा है। बैंक ऑफ बड़ौदा का 3.9 व पंजाब नेशनल बैंक की पूंजी 2.1 प्रतिशत बढ़ी है।
सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर घटकर 60.9 पर पहुंची
नए कारोबार और गतिविधियों में धीमी गति के चलते देश के सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर सितंबर में घटकर 60.9 पर आ गई। अगस्त में यह 15 साल के उच्च स्तर 62.9 पर थी। प्रतिस्पर्धी परिस्थितियों और लागत नियंत्रण उपायों के बीच मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज पीएमआई इस नरमी के बावजूद 50.0 से ऊपर रहा जो उत्पादन में वृद्धि का संकेत है। खरीद प्रबंध सूचकांक (पीएमआई) का 50 से ऊपर होना मजबूती और इससे नीचे गिरावट का संकेत है। एचएसबीसी की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, अधिकांश ट्रैकर्स में नरमी आई, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं दिखा जिससे पता चले कि सेवाओं में विकास की गति में कोई बड़ी गिरावट आई है।
सेवा निर्यात बढ़कर 102 अरब डॉलर के पार
देश का सेवा निर्यात सालाना आधार पर 14 फीसदी बढ़कर 102 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, आयात भी 4.2 फीसदी बढ़कर 48 अरब डॉलर हो गया। 2024-25 में कुल व्यापार 1.73 लाख करोड़ डॉलर रहा। इसमें 823 अरब डॉलर का निर्यात और 908 अरब डॉलर का आयात शामिल है। मिनरल फ्यूल, इलेक्ट्रिकल मशीनरी व न्यूक्लियर रिएक्टर प्रमुख निर्यात श्रेणियां थीं।
सेबी ने सोशल मीडिया से एक लाख से ज्यादा सामग्री हटाई
सेबी ने 18 महीनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से 1 लाख से ज्यादा गैरकानूनी सामग्री हटाई है। ऐसे में भोले-भाले निवेशकों को धोखेबाजों से बचने की जरूरत है। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने कहा, गूगल और मेटा जैसे प्लेटफॉर्म पर गैरकानूनी सामग्री के मुद्दे को उठाया है। मुंबई में एक कार्यक्रम में चेयरमैन ने कहा, तकनीकी उपकरणों के आगमन ने अपराधियों के लिए निवेशकों को धोखा देने वाली समस्याग्रस्त सामग्री पोस्ट करना आसान बना दिया है। हमारी कोशिश है कि कोई भी निवेशक इसका शिकार न बने। हाल में सेबी के सर्वे में पता चला कि केवल 36 प्रतिशत लोगों को ही पूंजी बाजारों के बारे में ज्यादा या मध्यम स्तर की जानकारी है। इससे पता चलता है कि बहुत से लोग भ्रामक सामग्री के प्रति संभावित रूप से संवेदनशील हैं। पांडे ने कहा, यह ज्ञान का अंतर एक ऐसी कमजोरी है जो हमारे निवेशकों को जोखिमों और धोखाधड़ी के प्रति संवेदनशील बनाती है।
जन औषधि: बदल सकती है नीति, नजदीक नहीं होंगी दुकानें
जन औषधि केंद्रों के माध्यम से सस्ती दवाओं के खुदरा विक्रेताओं ने सरकार से शून्य दूरी नीति की समीक्षा करने का अनुरोध किया है। यह अनुरोध स्वीकार किया जाता है तो आस-पास में इस केंद्र की दो दुकानें नहीं होंगी। फिर एक तय दूरी पर ही दूसरी दुकान खोलनी होगी। दस राज्यों के प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करने वाले पीएमबीजेके रिटेलर्स एसोसिएशन ने सरकारी अधिकारियों से मुलाकात कर यह अपील ही है। एसोसिएशन के महासचिव सुरेश मित्तल ने शहरी क्षेत्रों में दुकानें स्थापित करने की संशोधित नीति को समाप्त करने का अनुरोध किया। भारतीय औषधि एवं चिकित्सा उपकरण ब्यूरो (पीएमबीआई) ने नई दुकानें स्थापित करने के लिए नीति में संशोधन किया है। नए ढांचे के तहत, 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में, दो दुकानों के बीच न्यूनतम 1 किमी की दूरी बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रशांत कुमार ने कहा एसोसिएशन ने 22 सितंबर से प्रभावी जीएसटी सुधारों के कारण हुए नुकसान के लिए वित्तीय सहायता की मांग की है। 11 जून, 2025 तक देश भर में 16,000 से अधिक जन औषधि केंद्र कार्यरत हैं।