व्यापार: देश की सुरक्षा केवल सीमा पर लड़े गए युद्ध से तय नहीं होती, बल्कि यह पूरे देश के लोगों के संकल्प और एकजुटता से तय होती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 1965 के युद्ध के दिग्गजों से बातचीत में यह बात कही। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के जांबाजों के साथ बातचीत में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "भारत अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों के मामले में भाग्यशाली नहीं रहा है… लेकिन हमने इसे नियति नहीं माना है। हमने अपनी नियति स्वयं तय की है… इसका एक उदाहरण ऑपरेशन सिंदूर है।
पहलगाम को यादकर मन गुस्से से भर जाता है
रक्षा मंत्री ने कहा कि हम पहलगाम की भयावह घटनाओं को नहीं भूले हैं और जब भी हम उन्हें याद करते हैं, हमारा दिल भारी हो जाता है और मन क्रोध से भर जाता है। वहां जो हुआ उसने हम सभी को झकझोर दिया। लेकिन वह घटना हमारे मनोबल को नहीं तोड़ पाई।
हमने आतंकियों को ऐसा सबक सिखाया जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी
राजनाथ सिंह ने कहा, "हमारे प्रधानमंत्री ने आतंकवादियों को ऐसा सबक सिखाने का संकल्प लिया जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। हमने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया और अपने दुश्मनों को दिखाया कि हमारा प्रतिरोध कितना मजबूत और शक्तिशाली है। हमारी पूरी टीम की ओर से दिखाए गए समन्वय और करिश्मे ने साबित कर दिया कि जीत अब कोई अपवाद नहीं है। जीत एक आदत बन गई है और हमें इस आदत को हमेशा बनाए रखना चाहिए।
युद्ध में जीत सामुहिक संकल्प का परिणाम: राजनाथ सिंह
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं, "… कोई भी युद्ध केवल युद्ध के मैदान में नहीं लड़ा जाता, बल्कि युद्ध में प्राप्त विजय पूरे राष्ट्र के सामूहिक संकल्प का परिणाम होती है। 1965 के उस कठिन समय में, जब चारों ओर अनिश्चितता और चुनौतियाँ थीं, देश ने लाल बहादुर शास्त्री के दृढ़ नेतृत्व में उन चुनौतियों का सामना किया। शास्त्री जी ने उस दौर में न केवल निर्णायक राजनीतिक नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि पूरे देश का मनोबल भी ऊँचाइयों तक पहुंचाया। उन्होंने एक नारा दिया जो आज भी हमारे दिलों में गूंजता है, 'जय जवान, जय किसान।' इस एक नारे में हमारे वीर जवानों के सम्मान के साथ-साथ हमारे अन्नदाताओं का गौरव भी समाहित था…"