व्यापार: जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ आम उपभोक्ताओं को मिले यह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र निगरानी रखेगा। केंद्र मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को यह आश्वासन दिया। उनके अनुसार उद्योग जगत ने भरोसा दिया है कि विभिन्न वस्तुओं पर करों में कटौती का असर उनकी कीमतों में दिखेगी।
जीएसटी परिषद ने हानिकारक वस्तुओं को छोड़कर सभी उत्पादों को 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दर के तहत लाने को हरी झंडी दे दी है। कई आवश्यक वस्तुओं पर कर को शून्य करने का निर्णय लिया गया है। ये बदलाव 22 सितंबर को नवरात्र के पहले दिन से लागू होंगे।
अमेरिका के टैरिफ के कारण नहीं लिया गया जीएसटी में सुधार का फैसला
भाजपा के संवाददाता सम्मेलन में गोयल ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के अमेरिका के फैसले के कारण मोदी सरकार ने जीएसटी के ढांचे में सुधार किया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय राज्यों और केंद्र के सचिवों व वित्त मंत्रियों के बीच लगभग एक साल तक चले विचार-विमर्श के बाद लिया गया।
उन्होंने कहा, "इस निर्णय (जीएसटी) का किसी भी देश के किसी भी फैसले से कोई संबंध नहीं है। इतना बड़ा परिवर्तन रातोंरात नहीं हो सकता।" अमेरिका ने टैरिफ का फैसला पिछले महीने ही लिया था। उन्होंने कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखेगा कि उपभोक्ताओं को कम करों का पूरा लाभ मिले। राज्यों को भी इसकी निगरानी करनी चाहिए।
विपक्षी दल सत्ता में रहने के कारण नहीं लागू कर सके जीएसटी
गोयल ने इस दौरान कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर भी निशाना साधा। वस्तु व सेवा कर व्यवस्था को तर्कसंगत बनाने में देरी के लिए सरकार पर निशाना साधे जाने पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी दलों ने अपनी अपनी अक्षमता फिर उजागर कर दी है। वे 2004-14 के दौरान सत्ता में रहने के दौरान जीएसटी लागू नहीं कर सके और केवल भ्रष्टाचार में व्यस्त रहे।
गोयल ने कर्नाटक और तेलंगाना की कांग्रेस सरकारों पर आरोप लगाया कि वे 3 सितंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली जीएसटी परिषद को इन सुधारों को मंजूरी देने से रोकने की कोशिश करती रही। इससे उनकी पार्टी की पोल खुल गई। अंततः यह फैसला सर्वसम्मति से लिया गया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए गोयल ने कहा कि वह एक रॉकेट की तरह हैं जो कई कोशिशों के बावजूद उड़ान नहीं भर पा रहा है। क्या उन्हें खुद पता है कि उन्होंने किसी मुद्दे पर पहले क्या कहा था और अब क्या कह रहे हैं? देश की जनता उनकी टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होती।